इजराइल के पक्ष में उतरा अमेरिका, ईरान पर किया हमला, चीन-रूस ने की निंदा, ईरान देगा जवाब

Lagatar Desk
इजराइल-ईरान युद्ध का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. 22 जून की सुबह अमेरिका ने इजराइल के पक्ष में इरान पर हमला कर दिया. अमेरिकी एयरफोर्स ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया. जिनमें फोर्डो, नतांज और इस्फहान शामिल है. हमला सुबह 4.30 बजे किया गया.
 
अमेरिका के इस हमले के बाद ईरान ने अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करने की बात कही है. वहीं रुस और चीन ने अमेरिकी हमले की निंदा की है. रुस ने युद्ध में मध्यस्थता की भी पेशकश की है. हालांकि इसकी संभावना बहुत ही कम है.
 
ईरान और इजराइल के बीच 13 जून से युद्ध चल रही है. इजराइल ने जहां ईरान के तेहरान समेत कई जगहों पर हमले कर उसके सैन्य अफसरों और वैज्ञानिकों को मार दिया, वहीं इरान ने इजराइल के तेव अवीव व यरुशलम जैसे शहरों पर हमले किए.
 
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला के बाद अमेरिका  के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा है कि ईरान के पास अभी भी वक्त है. अगर वह नहीं रूकते हैं, तो ईरान को तबाह कर दिया जायेगा. ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम रोकना ही पड़ेगा.
 
ईरान पर हमले में अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (बंकर बस्टर) बमों का इस्तेमाल किया है. ये बम विशेष रूप से गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.  
 
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दावा किया है कि ईरान की प्रमुख परमाणु सुविधाएं पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं. उन्होंने इस कार्रवाई को अमेरिकी सेना की शानदार सैन्य सफलता बताते हुए कहा कि अमेरिका की सेना दुनिया में सबसे बेहतर है.
 
हमले के बाद ईरान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जिन जगहों पर अमेरिका ने हमले किए हैं, उसे पहले की खाली करा लिया गया था. इस कारण उसके परमाणु कार्यक्रमों को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. ईरान ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया है.
 
हमले के बाद ईरान के स्थानीय मीडिया में खामेनेई के प्रतिनिधियों ने जवाबी कार्रवाई की मांग की है. यह मांग की जा रही है कि बहरीन में अमेरिकी नौसेना बेड़े पर हमला और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर दिया जाये. 
 
अमेरिका के ताजा हमले ने मध्य पूर्व में पहले से बनी खराब हालात को और खराब कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान सीधे हमले के बजाय अपनी प्रॉक्सी सेनाओं के जरिये कार्रवाई कर सकता है. हिजबुल्लाह, हूती विद्रोही, और शिया मिलिशिया ईरान के प्रॉक्सी सेना माने जाते हैं.