सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं
दस्तावेज़ों में छेड़छाड़, मूल रजिस्टर से पन्ने फाड़ना और भूस्वामित्व का फर्जीवाड़ा - यह सब कुछ सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं. CID ने खुद माना है कि वन भूमि की लीज, मुआवजा और अधिग्रहण से जुड़े रिकॉर्ड 2021 और 2022 में ही गायब कर दिए गए. लेकिन सवाल यह है कि FIR दर्ज करने में इतनी देर क्यों? कहीं मुंह छुपाने की वजह यह तो नहीं कि लूट की यह स्क्रिप्ट रांची में ही लिखी गई थी? अचानक से इस ग़ायब जमीन को हैदराबाद की एक कंपनी सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग को आवंटित कर दिया गया. क्या वन भूमि देने का फैसला सचिवालय में बैठकर नहीं लिया गया? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी साफ़ बता रही है कि जंगल ही नहीं, सरकार भी बिक चुकी है! इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/cabinet-meeting-ends-17-proposals-approved-including-new-production-policy/">झारखंडकैबिनेट : नई उत्पादन नीति को मिली मंजूरी सहित 17 प्रस्ताव पर मुहर