नई उत्पाद नीति में भी कई आशंकाएं हो रही हैं
पत्र में कहा है कि सरकार अभी जो नई उत्पाद नीति लागू करने जा रही है, इसमें भी कई आशंकाएं हो रही है. राज्य के राजस्व में वृद्धि एवं छोटे-छोटे व्यवसायियों को समानुपातिक अवसर मिलेगा, इसकी उम्मीद कम है. नई उत्पाद नीति में एक व्यक्ति या प्रतिष्ठान को जिला स्तर पर तीन यूनिट यानि 9 दुकानें एवं पूरे राज्य में अधिकतम 36 दुकानें मिलने का प्रावधान रखा गया है. ऐसे में शराब के बड़े-बड़े कारोबारी पूरे राज्य में दुकानों के आवंटन में अपनी भागीदारी करेंगे. जिससे अधिक तम शराब दुकानें उन्हीं के हाथों में चले जाने की संभावना ज्यादा है. वे लोग मनमानी तरीके से शराब का कारोबार कर सकेंगे.राज्यपाल से की मांग
• जिस प्रकार केन्द्र सरकार पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी के लाइसेंस निर्गत करने में दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, दिव्यांगों और सेना से सेवानिवृत जवानों को प्राथमिकता देती है, उसी प्रकार राज्य सरकार भी गरीब आदिवासी महिलाओं को जनसंख्या के आधार पर एवं सेना से सेवानिवृत जवानों के लिए देशी एवं विदेशी शराब दुकानों की बंदोबस्ती में आरक्षण दे. • नई उत्पाद नीति में एक व्यक्ति-एक दुकान को मानक मानकर एक व्यक्ति या प्रतिष्ठान को पूरे राज्य में एक ही शराब दुकान को संचालित करने का प्रावधान हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को व्यवसाय करने का अवसर मिल सके एवं भ्रष्टाचार नहीं हो सके. • जिस प्रकार राज्य सरकार ने निजी क्षेत्रों में राज्य के लोगों केलिए 75% आरक्षण का निर्णय कैबिनेट में लिया है उसे शराब दुकानों के आवंटन में भी लागू करे. इसे भी पढ़ें - सरना">https://lagatar.in/sarna-dharma-code-is-becoming-a-hot-cake-for-political-parties/">सरनाधर्म कोड राजनीतिक दलों के लिए बनता जा रहा हॉट केक