बेघर हुए रैयतों ने बयां की अपनी पीड़ा
बेघर हुए रैयतों में राम केशरी, दिनेश प्रसाद, विनोद केशरी आदि ने बताया कि एनएच ने जमीन अधिग्रहण के लिए सर्वप्रथम 17 जून 2015 पहली बार बरही, कोनरा व उज्जैना के रैयतों को सूचित किया. 19 फरवरी 2016 को दूसरा नोटिफिकेशन देते हुए अधिग्रहित होने वाले जमीन को व्यावसायिक करार कर 106 करोड़ की मुआवजा राशि तय की थी. परंतु 14 फरवरी 2017 को अपने ही अधिसूचना को रद्द करते हुए रैयतों की जमीन को व्यावसायिक, कृषि और हाउसिंग जैसी तीन श्रेणियों में विभक्त कर दिया. 27 फरवरी 2018 को 106 करोड़ की मुआवजा मात्र 54 करोड़ कर दिया गया. इसमें जीएसटी भुगतान करने वाले करीब 30 रैयतों की जमीन को व्यावसायिक रख कर शेष सभी का कृषि या हाउसिंग करार कर दिया. इसका रैयतों ने विरोध किया. समस्याओं के समाधान के लिए छह दिसंबर 2018 को उपायुक्त सहित पांच अन्य अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई गई. परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई. दिसंबर 2021 को मुआवजा की राशि तय करते हुए रैयतों को राशि प्राप्त करने की सूचना देते हुए सभी से दस्तावेज की मांग की गई. इसे भी पढ़ें :बहरागोड़ा">https://lagatar.in/bahragora-dr-dinesh-kumar-shadangi-met-president-draupadi-murmu-with-family/">बहरागोड़ा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सपरिवार मिले डॉ दिनेश कुमार षाड़ंगी
इन दरों पर तय किया गया मुआवजा
रैयत रामलाल प्रसाद ने बताया कि मुआवजा भुगतान के लिए बरही की कॉमर्शियल जमीन को 4,69, 722.22 रु, आवासीय जमीन को 12 लाख 3 हजार 631 रुपए और कृषि जमीन को 69,121. 69 रुपए प्रति डिसमिल, कोनरा मौजा के जमीन कमर्शियल जमीन को 1,52, 375 रूपये, आवासीय जमीन को 1,07,356.62 रुपए और कृषि जमीन को 55, 947.90 रुपए प्रति डेसिमल 69, 722.22 रु, आवासीय जमीन को 12 लाख 3 हजार 631 रुपए और कृषि जमीन को 69,121. 69 रुपए प्रति डिसमिल और उज्जैना मौजा के व्यवसायिक जमीन को 1,52,395.83 रुपए, आवासीय जमीन को 99816.36 रुपए और कृषि योग्य जमीन को 67,173.37 रुपए प्रति डिसमिल की दर से मुआवजा तय किया गया. वहीं प्रथम श्रेणी एकतल्ला मकान 1,166.12 रुपए और दुतल्ला 892.89 रुपए, जबकि द्वितीय श्रेणी एक तल्ला मकान 892.89 रुपए और दोतल्ले मकान का दर 569.53 रुपए प्रति वर्ग फीट दर तय किया गया.धरना-प्रदर्शन करनेवाले रैयतों की मांगें
रैयत राजकुमार और वजीर साव का कहना है कि झारखंड सरकार ने बरही के जमीन की औद्योगिक घोषित कर रखा है. ऐसे में मुआवजे के लिए जमीन की श्रेणी एक और मुआवजा राशि एक होनी चाहिए. मुआवजा की राशि पर पुनर्विचार कर तय किया जाए. साथ ही तय मुआवजा की राशि में सिर्फ तीन वर्षों का ही सूद भुगतान की तारीख तक जोड़ा जाए. इन्हीं मांगों को लेकर तिलैया रोड के पीड़ित रैयतों ने लगातार धरना प्रदर्शन के माध्यम से विरोध जताते हुए पहले मुआवजा फिर अधिग्रहण की मांग करते रहे. लेकिन किसी ने नहीं सुनी. बल्कि जबरन मकान तोड़ दिया गया. इसे भी पढ़ें :शर्मनाक">https://lagatar.in/embarrassing-girls-head-shaved-in-palamu-first-paraded-in-the-whole-village-then-left-in-the-forest/">शर्मनाक: पलामू में लड़की का सिर मुड़वाकर पहले पूरे गांव में घुमाया, फिर जंगल में छोड़ा