सभी पार्टियों के लिए विन-विन सिचुएशन रहे बंगाल के चुनाव नतीजे

Anand Kumar
कोलकाता के एक चाय के खोखे पर 2 मई की शाम चार यार मिले. चारों अलग-अलग राजनीतिक रुझान वाले. मुखर्जी मोशाय बीजेपी समर्थक, तो मजूमदार बाबू खांटी कम्यूनिस्ट. दास दादा पक्के कांग्रेसी, तो घोष दा दीदी के सपोर्टर. खुशी-खुशी चारों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया. इतने में खोकन चाय ले आया. एक हाथ में चाय का गिलास पकड़े और सिगरेट सुलगाते मजूमदार बाबू ने घोष दा को जीत की बधाई दी, तो पीछे-पीछे बाकी दोनों ने भी घोष बाबू को बधाई देते हुए सिगरेट की फरमाइश कर डाली.
बधाई कबूल करते हुए घोष बाबू ने मुखर्जी मोशाय को भी बधाई दी. आखिर उनकी पार्टी विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल बन गयी थी. मुस्कुराते हुए मुखर्जी बाबू ने तिरछी नजरों से मजूमदार और दास की तरफ देखा, जो चाय सुड़कते हुए चुनावी चर्चा में मशगूल थे. क्या दास बाबू-मजूमदार बाबू आप हमें बधाई नहीं देंगे, मुखर्जी मोशाय ने दोनों पर एक टेढ़ी मुस्कान फेंकी. अरे, क्यों नहीं, जरूर देंगे बधाई. लेकिन पहले हम एक-दूसरे को बधाई दे लें. इसके बाद आपको भी देंगे-मजूमदार साहब बोले. मुखर्जी ने पूछा- आप एक-दूसरे को किस बात की बधाई दे रहे हैं. आपका तो चुनाव में खाता भी नहीं खुला. आपको तो दुखी होना चाहिए.

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इस पर दास दादा बोले, हमारी एक भी सीट नहीं आयी, इसका दुख तो हमें है, लेकिन हमें इस बात की खुशी ज्यादा है कि आप बहुमत में नहीं आये. सब कुछ करके भी आप सत्ता से दूर रह गये. सांप्रदायिकता के खिलाफ हमारी जीत इसी में है कि हमने आपको सत्ता तक पहुंचने से रोक दिया. इसीलिए हम जश्न मना रहे हैं. लेकिन आपको किस बात की खुशी है. कहां आप सरकार बनाने का सपना देख रहे थे और कहां सत्ते के दो पत्ते लेकर ही दांत निपोर रहे हैं.
मुखर्जी बाबू मुस्कुराये. बोले दास बाबू, तिग्गी का एक पत्ता आज दो सत्ता हो गया है, और आप लोग सारे पत्ते लुटाकर जोकर बने बैठे हैं. हमें इस बात की सत्ते के दोनों पत्तों जैसी डबल खुशी है. एक तरफ हम 3 से 77 हो गये, वहीं आप दोनों मिलाकर जीरो ही साबित हुए. यानी राष्ट्रीय पार्टियों के तौर पर जनता ने वाम दलों और कांग्रेस को खारिज कर दिया है. इसलिए हम खुश हैं.

सिगरेट का गहरा कश लगाते हुए घोष दादा बोले, हम इसलिए खुश हैं क्योंकि हमारी पार्टी फिर भारी बहुमत से सरकार में आ गयी. मजूमदार मोशाय और दास बाबू इस बात से खुश हैं कि मुखर्जी बाबू का दल पूरा जोर लगाकर भी बहुत पीछे रह गया और मुखर्जी बाबू इसलिए हंस रहे हैं कि अब वे बंगाल में एकमात्र विपक्षी दल हैं. उनके दोनों राष्ट्रीय विरोधी जीरो पर आउट हो गये. कोई अपनी खुशी में खुश है तो कोई दूसरे के दुख से प्रसन्न. ये हम सबके लिए विन-विन सिचुएशन है. चारों ने इस बात पर जोर का ठहाका लगाया. और ऐसा सौहार्द्रपूर्ण चुनाव परिणाम देने के लिए बंगाल की जनता को धन्यवाद देते हुए खोकन को दोबारा चाय लाने का ऑर्डर देते हुए धुएं का छल्ला बनाने में मशगूल हो गये.