अफसरशाही : लोग सरकारी दफ्तरों के काटते रहे चक्कर, अधिकारी नदारद

किसी अधिकारी की कुर्सी एक सप्ताह से खाली, कोई घंटे भर बाद पहुंच रहे दफ्तर, जरूरतमंद काटते रहे चक्कर Pramod Upadhyay Hazaribagh : अफसरशाही की बानगी देखनी हो, तो हजारीबाग आइए. यहां कई अधिकारी अपनी मनमर्जी से दफ्तर आते हैं. उनसे मिलना है, तो कम-से-कम घंटे भर बाद ही आना बेहतर होगा, अन्यथा उन्हें कोई मतलब नहीं कि आपका कितना कीमती वक्त बर्बाद हो रहा है. एक समस्या के निदान में पूरे दिनभर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते और बाबुओं व साहबों से मिलने में समाप्त हो जाते हैं. यह ‘शुभम संदेश’ नहीं सरकार की सबसे बड़े पार्टी के जिलाध्यक्ष कह रहे हैं. झामुमो के जिलाध्यक्ष शंभूलाल यादव जब सोमवार की पूर्वाह्न 11:45 बजे भूमि संरक्षण सर्वे के जब दफ्तर पहुंचे, तो वहां दूर-दूर तक कोई नहीं था. पता चला कि भूमि संरक्षण सर्वे पदाधिकारी अंकेश तिर्की सप्ताह भर से ऑफिस में नहीं हैं. एक कमरे में तीन-चार बाबू आपस में बात कर रहे थे. एक कर्मी कंप्यूटर कक्ष में बैठा था. इंतजार करते-करते थक गए, तो जिलाध्यक्ष बैरंग लौट गए.

कार्यशैली नहीं सुधरी, तो सरकार को रिपोर्ट करेंगे : शंभूलाल यादव

झामुमो के जिला अध्यक्ष ने कहा कि कुछ काम के लिए आए थे, मगर काम नहीं हुआ. बाबू दफ्तर से गायब रहते हैं, यह अधिकारियों को शोभा नहीं देता. उन्हें कार्यालय में जिम्मेवारी दी गई है, उसे उन्हें करना चाहिए था. फोन करने पर अधिकारियों की रिसीव नहीं करने की आदत बन गई है. समय पर दफ्तर नहीं आनेवाले अधिकारियों का अगर यही हाल रहा, तो उनके बारे में सरकार को जानकारी दी जाएगी.

बीडीओ, बीइइओ और बीपीओ भी वक्त पर नहीं पहुंचे ऑफिस

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कुछ यही हाल इचाक के बीडीओ, बीइइओ और बीपीओ का भी देखा गया. बीइइओ खुद कहते हैं कि दिन के 10 बजे ऑफिस आना है, लेकिन वह दफ्तर में आए ही नहीं. वह कहते हैं कि किसी काम से बाहर हैं. वहीं बीपीओ वंदना कुमारी पूर्वाह्न 11:34 में वाहन से ऑफिस जा रही थीं. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया में जारी किया गया. पूछने पर कहती हैं कि वह 10:30 बजे ऑफिस आ चुकी हैं. उन्होंने कहा कि दफ्तर आने के क्रम में कई स्कूलों का वह निरीक्षण करती हुई आती हैं. चूंकि ऑफिस के रास्ते में ही कई स्कूल हैं. बीडीओ रिंकी कुमारी का पूर्वाह्न 11:10 बजे ऑफिस जाते सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल हुआ है.

पदाधिकारी मिले नहीं, काम हुआ नहीं : अजीत मेहता

इधर जरूरतमंद इन दफ्तरों का चक्कर 10 बजे से ही आकर काटते रहे. पबरा के अजीत मेहता ने कहा कि भूमि संरक्षण सर्वे कार्यालय आए थे, लेकिन कोई काम ही नहीं हुआ. यहां पदाधिकारी मिले ही नहीं.

प्रशिक्षु आईएएस और सीओ से सीख लेने की जरूरत

इचाक में प्रशिक्षु आईएएस शताब्दी मजूमदार और सीओ वक्त पर ऑफिस में डटे थे. ऐसे में इन अधिकारियों से मातहत पदाधिकारियों को सीख लेने की जरूरत है. कई जरूरतमंद लोग अपना सारा काम छोड़कर सरकारी दफ्तर वक्त पर इसलिए पहुंचते हैं कि समय पर उनकी समस्याओं का निदान हो जाए. लेकिन जब पदाधिकारी ऑफिस में वक्त पर नहीं मिलते हैं, तो लोग निराश और हताश होकर लौट जाते हैं. यही वजह है कि उनका सरकारी व्यवस्था से भरोसा घटता चला जाता है. लेकिन प्रशिक्षु आईएएस और सीओ जैसे अधिकारी के कारण लोगों का भरोसा सरकारी व्यवस्था पर टिका हुआ है. इसे भी पढ़ें : तीसरे">https://lagatar.in/ias-chhavi-ranjan-reaches-ed-office-after-third-summons-interrogation-begins/">तीसरे

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