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सौ फीट की ऊंचाई से गिरती है झरना
दाराकोचा स्थित सोना झरना चारों ओर हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है. यहां करीब सौ फीट की ऊंचाई से झरने का पानी गिरता है. बरसात के समय दाराकोचा स्थित सोना झरना में अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. शोर-शराबे और प्रदूषण से दूर अनुपम सौंदर्य समेटा सोना झरना बरबस ही लोगों को अपनी और आकर्षित करता है. सोना झरना जलप्रपात चारों ओर पहाड़ों से घिरा होने के कारण उत्तम स्वास्थ्यवर्धक स्थान है. यहां पक्षियों की चहचहाहट सैलानियों का मन मोह लेता है. झरना का पानी बहकर पालना जलाशय पहुंचता है. प्रकृति के अनुमप सौंदर्य को अपने आगोश में समेटे सोना झरना को अपने उद्धार के लिए किसी तारणहार का इंतजार है. वैसे सोना झरना के विकास नहीं होने का एक कारण हेंसाकोचा का अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र होना भी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम नहीं रहने के कारण लोग वहां जाने से संकोच करते हैं.alt="" width="600" height="400" /> इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-a-new-gang-was-formed-for-robbery-caught-after-the-very-first-incident/">जमशेदपुर
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उदासीनता के कारण नहीं हो सका विकास
झारखंड अलग राज्य बने 22 साल बीत गए, लेकिन राज्य के बेहतरीन सौंदर्य वाले कई स्थलाें का अबतक विकास नहीं हो सका है. सोना झरना तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. चांडिल प्रखंड के सुदूरवर्ती हेंसाकोचा पंचायत के दाराकोचा स्थित सोना झरना पहुंचने के कई रास्ते हैं. टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बड़ामटांड से करीब 12 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित सोना झरना जाने के लिए पालना, हेंसाकोचा के रास्ते भी पहुंचा जा सकता है. वहीं चौका-कांड्रा सड़क पर स्थित दुलमी से हेंसाकोचा होते हुए और खूंटी से मुसरीबेड़ा, हेंसाकोचा होते हुए भी सोना झरना तक पहुंचा जा सकता है. सभी सड़कें उत्क्रमित उच्च विद्यालय हेंसाकोचा तक पक्की है. इसके बाद से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित सोना झरना तक जाने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है. सुगम सड़क नहीं रहने के कारण दो पहिया वाहन से जाना भी दूभर हो जाता है. इसे भी पढ़ें : चक्रधरपुर">https://lagatar.in/chakradharpur-teachers-of-jln-college-worked-wearing-black-badges-expressed-displeasure/">चक्रधरपुर: जेएलएन कॉलेज के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर किया काम, जताई नाराजगी