हाइकोर्ट ने जिसे जमीन माफिया माना, चास एसडीपीओ ने उसे बचाने की नाकाम कोशिश की

Shakeel Akhter

Ranchi: झारखंड हाइकोर्ट ने जिस व्यक्ति को जमीन माफिया के रुप में चिन्हित किया, बोकारो के चास (सदर) एसडीपीओ प्रवीण कुमार सिंह ने उसे बचाने की नाकाम कोशिश की. जमीन माफिया का नाम धनंजय फौलाद है. डीएसपी ने सुपरविजन में फौलाद व अन्य के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा दर्ज करायी गयी जालसाजी के मामले को गलत करार दिया था. लेकिन डीजीपी के निर्देश पर बनायी गयी एसआइटी ने पूरे मामले की समीक्षा के बाद अभियुक्तों पर लगे जालसाजी के आरोपों को सही करार दिया है. साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध शाखा से जांच कराने की अनुशंसा की है.


बोकारो जिला प्रशासन ने छह एकड़ के पावर ऑफ अटर्नी के आधार पर 18 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री और म्यूटेशन कराने के आरोप में फौलाद सहित अन्य के खिलाफ वर्ष 2020 में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान तत्कालीन डीएसपी ने शपथ पत्र दायर कर अभियुक्तों पर लगे आरोपों को सही करार दिया था. दस्तावेज में वर्णित तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने फौलाद सहित अन्य को जमीन माफिया के रूप में चिह्नित किया था. फौलाद की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. लेकिन वह घर में रहते हुए पुलिस की पकड़ से बाहर है.


जिला प्राशासन द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की जांच के दौरान अब तक कई डीएपसी बदले जा चुके हैं. लेकिन चास के वर्तमान एसडीपीओ प्रवीण कुमार सिंह ने इस मामले की समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट में यह लिखा कि अभियुक्तों के खिलाफ लगाये गये जालसाजी के आरोपों की पुष्टि नहीं होती है. उन्होंने जांच अधिकारियों को इस मामले में अतिंम प्रतिवेदन (साक्ष्य की कमी) समर्पित करने का निर्देश दे दिया.

डीएसपी ने जिला प्रशासन द्वारा दर्ज प्राथमिकी में लगे आरोपों को गलत करार देने के लिए प्राथमिकी में जमीन का खाता नंबर 29 लिखे होने को आधार बनाया. प्राथमिकी दर्ज करते समय गलती से खाता नंबर 28 के बदले 29 लिख दिया गया था. डीएसपी ने जिला प्रशासन द्वारा हुई गलती को सुधारने से संबंधित आनुरोधों को अस्वीकार कर दिया. मामले की गंभीरता के देखते हुए लोगों ने इसकी शिकायत डीजीपी से की. डीजीपी ने एसआइटी बना कर जांच का निर्दश दिया.


डीजीपी के निर्देश के आलोक में एसपी ने डीएसपी मुख्यालय अनिमेष गुप्ता के नेतृत्व में छह पुलिस अधिकारियों का एसआइटी गठित कर जांच का आदेश दिया. एसआइटी ने मामले की विस्तृत जांच के बाद जिला प्रशासन दवारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में लगे आरोपों को सही करार दिया.

 

एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि रैयत ज्योति लाल के पास कोई जमीन नहीं थी. लेकिन उन्होंने नवंबर 2007 में छह एकड़ जमीन का पावर ऑफ अटर्नी दिया. इसके आधार पर विभिन्न लोगों के नाम 18 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री कर दी गयी. जालसाजी कर बेची गयी इस जमीन में  वनभूमि भी शामिल है.

 

रिपोर्ट के मुताबिक अभियुक्तों ने जमीन के बिना ही डायमंड सीटी नामक सोसाइटी बना कर जमीन की खरीद बिक्री की. जालसाजी और मिलीभगत कर म्यूटेशन भी कराया. एसआइटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी विस्तृत जांच सीआइडी से कराने की अनुशंसा की है.