चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम ने पत्नी राजकुमारी को राजनीति में स्थापित करने की नाकाम कोशिश की थी

Ranchi: ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने अपनी पत्नी राज कुमारी को राजनीति में स्थापित करने की नाकाम कोशिश की थी. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के पहले राजकुमारी को भापजा मे ज्वाईन कराया गया था. टिकट की दावेदारी भी की गई थी. लेकिन सुरेश वर्मा के यहां से मिली नकद राशि ने पूरा खेल बिगाड़ दिया.

 

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम की विभाग में तूती बोलती थी. सारे टेंडर उन्हीं के इशारे पर निपटाये जाते थे. उनकी रसूख की वजह से उन्हें हर तरह का संरक्षण मिलता था. बाद में उन्होंने अपनी पत्नी राजकुमारी को राजनीति में स्थापित कर अपने लिए राजनीतिक संरक्षण हासिल करने की कोशिश की.

 

विरेंद्र राम ने पत्नी को भाजपा में ज्वाइन कराने की योजना बनायी. राज्य के तत्कालीन राजनीतिज्ञों की सहमति के बाद सात अगस्त 2019 को समाचार पत्रों में अपनी पत्नी के भाजपा में शामिल होने का बड़ा-बड़ा विज्ञापन छपवाया. सभी प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर जैकेट एड छपा था. इसमें राजकुमारी को समाजसेविका बताया गया था. 

 

भाजपा में ज्वाइन कराने के लिए जमशेदपुर के होटल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में पत्रकारों को शामिल नहीं होने दिया गया था. राजकुमारी के भाजपा में ज्वाईन कराने के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की भागदौड़ शुरू कर दी थी. लेकिन 11 नवंबर 2019 को जूनियर इंजीन सुरेश वर्मा के घर से मिली 2.67 करोड़ रुपये की बरामदी ने सारा खेल बिगाड़ दिया.

 

सुरेश वर्मा के घर से पैसों की बरामदी के बाद से ही इस घोटाले में वीरेंद्र राम का नाम जोड़ा जाने लगा था. इस कारण नेताओं ने उनसे और उनकी पत्नी से दूरी बनानी शुरु कर दी और विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने का सपना पूरा नहीं हो सका.

 

इंजीनियर सुरेश वर्मा की ओर से यह दावा किया गया था कि बरामद नकदी से उनका कोई संबंध नहीं है. जिस कमरे से 2.67 करोड़ रुपये जब्त किया गया है, उस कमरे को आलोक रंजन ने किराये पर ले रखा है. कमरा किराये पर दिलवाने के लिए वीरेंद्र राम अपनी पत्नी के साथ आये थे.

 

सुरेश वर्मा के इस दावे के बाद पैसों के संबंध बीरेंद्र राम से जोड़ा जाने लगा. वीरेंद्र राम ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली. नवंबर में टिकट बंटवारा शुरू हुआ. लेकिन राजकुमारी को टिकट नहीं मिला. इसके बाद राजकुमारी का नाम राजनीतिक हलकों से गायब हो गया.

 

वर्ष 2023 में राजकुमारी का नाम उस वक्त चर्चा में आया जब इडी ने ग्रामीण विकास में कमीशखोरी के मामले में वीरेंद्र राम सहित अन्य के ठिकानों पर छापा मारा.