Vinit Abha Upadhyay Ranchi : झारखंड हाई कोर्ट ने ट्रेन से गिरकर मरने वाले हर व्यक्ति के परिजनों द्वारा मुआवजा में वृद्धि को लेकर दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि रेलवे दुर्घटना से जुड़े मुआवजा मामलों में दावेदार घटना की तारीख से ही रेलवे प्रशासन से भुगतान तक ब्याज के साथ मुआवजा प्राप्त करने का हकदार होगा. साथ ही कोर्ट ने दुर्घटना की तारीख से भुगतान की तारीख तक साधारण ब्याज 6% से बढ़ाकर 9% प्रति वर्ष कर दिया.
ट्रिब्यूनल के आदेश से असंतुष्ट थे अपीलकर्ता
दरअसल प्रतिमा देवी ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण अधिनियम, 1987 (आरसीटी अधिनियम) की धारा 23 के तहत हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपीलकर्ता रेलवे दावा न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) द्वारा जारी आदेश से असंतुष्ट थे. दुर्घटनावश ट्रेन से गिरकर शंख नाथ दुबे की मौत मामले में ट्रिब्यूनल ने अपीलकर्ताओं को 8 लाख की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया था. इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने 8 लाख की राशि पर 6% की दर से ब्याज भुगतान का आदेश दिया था. इसके लिए 17 मार्च 2021 की तिथि निर्धारित की गयी थी. रेलवे ने कोर्ट में दी दलील, 2 अगस्त को केस हुआ दायर, इसलिए अपीलकर्ता घटना के दिन से ब्याज का हकदार नहीं
रेलवे की ओर से अदालत में यह तर्क दिया गया कि घटना 25/26 फरवरी 2018 को हुई थी. लेकिन ट्रिब्यूनल में केस 2 अगस्त 2019 को दायर किया गया था. इसलिए अपीलकर्ता घटना तिथि से ब्याज के हकदार नहीं है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि न्यायाधिकरण ने नियमों के अनुसार मुआवजे की अधिकतम राशि दी है, लेकिन दुर्घटना की तारीख से देरी की माफी की तारीख तक ब्याज रोकना कानून के तहत उचित नहीं है. इसलिए अपीलकर्ताओं दुर्घटना की तारीख यानी 25/26.02.2018 से वास्तविक भुगतान की तारीख तक 9% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज का हकदार है. [wpse_comments_template]