रांची में जारी है CNT जमीन की लूट का खेल, अबुआ राज में गुहार लगा रहा एक गरीब मुंडा

- न्याय के लिए कार्यालयों का चक्कर लगा रहे आदिवासी - जरपेशगी (भूगुतबांधा) जमीन कर दी गयी रजिस्ट्री Ranchi : राज्य में सीएनटी और एसपीटी जैसा मजबूत कानून होने के बावजूद राजधानी में आदिवासियों की जमीन की लूट का धंधा जारी है. सीएनटी की जमीन कब्जा करने का खेल निबंधन कार्यालय रांची से शुरू होता है. जहां अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों में हेराफेरी कर जमीन गैर आदिवासियों को रजिस्ट्री कर दी जाती है. इसके बाद आदिवासी अपनी ही भूमि को बचाने के लिए अंचल से उपायुक्त कार्यलाय तक दौड़ लगाते रहते हैं. जमीन का म्यूटेशन होने से पहले रैयत को इसकी जानकारी मिल जाती है. तो अंचल कार्यालय में आपत्ति करने पर म्यूटेशन रुक तो जाता है. लेकिन तब तक आदिवासी रैयत की भूमि दूसरे के कब्जे में चली जाती है. इसे भी पढ़ें -दस्तावेजों">https://lagatar.in/registry-of-land-in-ranchi-by-manipulating-documents-doubting-the-role-of-our-registrar-read-what-is-the-matter/15154/">दस्तावेजों

में हेराफेरी कर रांची में हो रही जमीन की रजिस्ट्री, अवर निबंधक की भूमिका पर संदेह ! पढ़ें क्या है मामला

क्या है मामला

कहानी रांची जिला के ओरमांझी अंचल के सिकिदरी थाना स्थित मुटा गांव के मनसीद हुरदुवार की है. मनसीद हुरदुवार की 88 डिसमिल सीएनटी जमीन को इदरीश खान, रोजन खान और जुबैदा खातून द्वारा अवैध तरीके से पलक जैन और नसीमा खातून को रजिस्ट्री कर दी गयी. पलक जैन और नसीमा खातून के परिजनों ने 73 डिसमील जमीन पर अवैध दखल भी कर लिया. [caption id="attachment_16412" align="aligncenter" width="720"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/01/papper.jpg"

alt="रांची में जारी है CNT जमीन की लूट का खेल, अबुआ राज में गुहार लगा रहा एक गरीब मुंडा" width="720" height="1189" /> डीड रद्द करने के लिए उपायुक्त को दिया गया आवेदन[/caption] मनसीद हुरदुवार कहते हैं कि मामले की शिकायत 16 नवंबर 2019 को रांची के उपायुक्त से की गयी. लेकिन डीसी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की. रांची रजिस्ट्री कार्यालय में बिना जांचे बकाश्त भूईंहरी जमीन का भी निबंधन कर दिया जाता है. जब तक मूल आदिवासी रैयत को जानकारी होती है. भूमि पर कब्जा हो चुका होता है. आदिवासी अवैध कब्जा हटाने के लिए थाना से लेकर एसपी तक दौड़ लगाता रहता है. अवैध रजिस्ट्री रद्द करने के लिए उपायुक्त कार्यालय में दस्तावेज लेकर दौड़ता रह जाता है. लेकिन कार्रवाई के नाम कुछ होता नहीं.

कैसे लूटी गयी आदिवासी मनसीद की 88 डिसमिल जमीन

ओरमांझी अंचल स्थित मौजा लोटवा की 15 डिसमिल जमीन इनके पूर्वजों द्वारा आर्थिक जरूरतों के कारण जरपेशगी (भूगुतबंधा, fructuary mortgage) की गयी थी. यह जरपेशगी समय सीमा के बाद स्वतः समाप्त हो गयी. बतौर मनसीद हुददुवार द्वारा इस जमीन पर 50 साल से अधिक समय से खेती की जा रही है. वे बकाश्त भूईंहरी सेस भी सरकार को दे रहे हैं. लेकिन खतियान में जरपेशगी दर्ज होने के कारण इस जमीन को इदरीश खान, रोजन खान और जुबैदा खातून ने रांची के दीनबंधु लेन अपर बाजार निवासी पलक जैन, पति पंकज जैन और सिकिदरी के कुटे निवासी नसीमा खातून पति सज्जाद खान को रजिस्ट्री कर दी. खरीदारों ने जमीन अदिवासी रैयत से लूट ली. मनसीद हुददुवार पिता स्व. बंगाली मुंडा ने इसकी शिकायत थाना से लेकर एसपी रांची और उपायुक्त रांची को भी की. लेकिन कुछ भी नहीं हुआ. हुददुवार अपनी खतियानी जमीन को अवैध कब्जा से छुड़ाने के लिए हर महीने रांची आकर सरकारी बाबुओं की मिन्नत करते हैं. लेकिन अबुआ सरकार में इस गरीब मुंडा की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. इसे भी पढ़ें -एक">https://lagatar.in/registry-of-the-same-account-plot-buyer-and-seller-one-but-commercial-for-10-decimals-and-residential-rate-of-90/15870/">एक

ही खाता-प्लॉट, क्रेता-विक्रेता भी एक, मगर 10 डिसमिल की कॉमर्शियल और 90 की आवासीय दर पर की रजिस्ट्री

क्या है जरपेशगी-भूगुतबांधा मामले में सीएनटी में प्रावधान

छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट की धारा-46 में जरपेशगी-भूगूतबांधा (fructuary mortgage) का प्रावधान किया गया है. इसके तहत आदिवासी परिवार अपनी तात्कालिक आर्थिक जरूरतों के लिए अपनी भूमि को अधिकतम 7 साल तक के लिए बंधक रख सकता है. आदिवासी रैयत को मोरगेज की राशि का न तो सूद देना पड़ता है और और न ही मूलधन लौटाने की जरूरत पड़ती है. महाजनी प्रथा के विरोध हुए संथाल हूल (विद्रोह) के कारण सीएनटी में इसका प्रावधान किया गया था, जो आज भी लागू है.

निबंधन कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध

रांची निबंधन कार्यालय की मिलीभगत से आदिवासियों की जमीन को गैरआदिवासियों के नाम रजिस्ट्री करने का खेल चल रहा है. निबंधन कार्यालय के क्रियाकलापों की वजह से भूमि- विवाद और खून-खराबे की स्थिति भी बनी है. उपरोक्त मामले में मनसीद हुरदुवार ने लगातार">https://lagatar.in/">लगातार

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 से कहा कि निबंधन कार्यालय, रांची के निबंधक व कर्मचारियों की मिलीभगत से नाजायज तरीके से उनकी जमीन का निबंधन गैर आदिवासियों को कर दिया गया है. इसे भी पढ़ें -आदिवासी">https://lagatar.in/tribal-land-registered-in-the-name-of-non-residents-verification-of-documents-does-not-happen-in-ranchi-registry-office/15539/">आदिवासी

जमीन गैरआदिवासियों के नाम हुई रजिस्ट्री, रांची रजिस्ट्री ऑफिस में नहीं होता दस्तावेजों का सत्यापन