अस्पताल प्रबंधन और मरीजों के बीच समन्वय बनाकर मदद पहुंचाएगी कांग्रेस

Ranchi : कोरोना संक्रमण को लेकर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की ओर से गठित राहत एवं निगरानी समिति के कंट्रोल रूम के माध्यम से सोमवार को छठवें दिन भी विभिन्न लोगों की समस्याओं के समाधान का प्रयास किया. कंट्रोल के माध्यम से सोमवार को 42 लोगों को सहायता पहुंचायी गयी. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने बताया कि रांची के सभी प्रमुख अस्पतालों में पार्टी की ओर से मरीजों और अस्पताल प्रबंधन के बीच समन्वय बनाने को लेकर पार्टी नेताओं का मनोनयन किया गया है. इसे लेकर सभी अस्पताल प्रबंधन को उनकी ओर से एक पत्र भी लिखा गया है, ताकि मरीजों की भी परेशानी दूर हो सके और अस्पताल प्रबंधन को भी इलाज करने में सहुलियत हो सके.

हेल्प डेस्क के माध्यम से मदद पहुंचाई गई

स्वास्थ्य विभाग के चेयरमैन डॉ. पी. नैय्यर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हेल्प डेस्क के माध्यम से कोरोना संक्रमितों और उनके परिजनों को आवश्यक चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराया. इस मौके पर कंट्रोल रूम के संयोजक प्रदीप तुलस्यान, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश सहित कई कांग्रेसी नेता उपस्थित थे.
प्रदेश अध्यक्ष की ओर से अस्पताल प्रबंधन को लिखे गये पत्र में बताया गया है कि राज्य में संक्रमितों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है, इस विषम परिस्थिति के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने लोगों के सहायतार्थ राहत एवं निगरानी समिति का गठन किया है. समिति के सदस्यों को संबद्ध अस्पताल प्रबंधन के साथ समन्वय बैठाकर अस्पताल में भर्ती और इलाज में हरसंभव मदद पहुंचाने के दृष्टिकोण से पार्टी पदाधिकारियों को नामित किया गया है,ऐसे में अस्पताल प्रबंधन भी सूची में शामिल पदाधिकारियों के समन्वय बनाकर सेवा भावना से काम करें. ताकि मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ होकर घर वापस लौट सके.

बसंत लाल के निधन पर जताया शोक

एकीकृत बिहार के समय में रांची स्नातक क्षेत्र से तीन बार विधानपरिषद सदस्य रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बसंत लाल का सोमवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका निधन राजनैतिक एवं सामाजिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. उनकी पूरी संवेदनाएं स्व. लाल के परिजनों के साथ हैं. डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि वो बेहद मिलनसार व जनसमस्याओं के निराकरण को लेकर प्रयत्नशील रहनेवाले जनप्रतिनिधि थे. 1960 से लेकर 2000 के बीच खासकर युवाओं में उनकी लोकप्रियता देखते ही बनती थी. यही कारण था कि वो लगातार तीन बार विधानपार्षद निर्वाचित हुए थे. एक कर्तव्यनिष्ठ जनप्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान थी.