NewDelhi : देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने और रोजाना लाखों की संख्या में लोगों के पॉज़िटिव पाये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्वत: संज्ञान लिया है. आज मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस पर सुनवाई की. इस दौरान सीजेआई ने कहा कि देश भर में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे हैं. उन्होंने रोज हो रही मौतों पर केंद्र से सवाल पूछे. इस पर केंद्र द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया. खबर है कि कोविड-19 मामले में न्याय मित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग करने की अनुमति मांगी.
वर्चुअल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं
हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में कोविड संबंधित मामले में न्याय मित्र बनाये जाने पर कुछ वकीलों द्वारा आलोचना किए जाने का जिक्र किया. हरीश साल्वे ने कहा, मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यह कहा जाये कि मैं सीजेआई को जानता हूं. इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि हमें भी यह जानकर बहुत तकलीफ हो रही है कि कोविड संबंधित मामले में साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त करने पर कुछ वकील क्या कह रहे हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई वर्चुअल मीडिया प्लेटफॉर्म इस मामले में हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं. इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने उसका आदेश पढ़े बिना टिप्पणी करने के लिए कुछ वरिष्ठ वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने उच्च न्यायालयों से मामलों को अपने पास नहीं भेजा है.
आदेश पढ़े बिना ही आरोप लगा दिया
इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा आपने हमारा आदेश पढ़े बिना ही हमपर आरोप लगा दिया है. इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, हमने एक शब्द भी नहीं कहा है और न ही उच्च न्यायालयों को रोका है, हमने केंद्र से उच्च न्यायालयों का रुख करने और उन्हें रिपोर्ट देने को कहा है. बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सेवाओं एवं आवश्यक आपूर्तियों के वितरण पर स्वत: संज्ञान के मामले में जवाब दायर करने के लिए केंद्र को समय दिया. साथ ही सीजेआई बोबडे ने हरीश साल्वे क मामले से हटने की अनुमति दी और सुनवाई मंगलवार 27 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.
जान लें कि उच्चतम न्यायालय आक्सीजन और जरूरी दवाओं की आपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार से नैशनल प्लान मांगा है. कोर्ट ने आक्सीजन, जरूरी दवाएं, कोरोना टीकाकरण के तौर-तरीके और लाकडाउन लागू करने के अधिकार पर विचार का मन बनाते हुए केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया है.