Arun Burnwal
Koderma: देशभर में कोरोना की दूसरी लहर काफी भयावह है. कोडरमा में बीते तीन दिनों की बात करें तो करीब तीन सौ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. वहीं तीन लोगों की इससे मौत हो चुकी है. दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बेहतर व्यवस्था नहीं होने से जांच रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है. ट्रूनेट जांच की रिपोर्ट में भी तीन दिन से अधिक लग रहा है. इस बारे में एक कोरोना जांचकर्मी ने बताया कि जिस अनुपात में सैंपल जमा हो रहा है, उस अनुपात में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की वजह से जांच में देरी हो रही है. कोरोना के बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण है.
इसी तरह आरटी पीसीआर जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इस वजह से सैंपल को हजारीबाग भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट आने में आठ से दस दिन लग जाता है. जिला नोडल पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने बताया कि जिले में प्रतिदिन ट्रूनेट पर 300 से ज्यादा जांच हो रही है और सैंपल कलेक्शन 350 के लगभग है. जबकि सच्चाई इसके विपरीत है. जिले में प्रतिदिन 600 से ज्यादा सैंपल जमा हो रहे हैं और जांच लगभग 300 के करीब हैं.
जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोडरमा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने वाले लोगों की जांच के लिए जांच स्टॉल लगाया गया है. लेकिन ट्रेन के आने के समय यहां तैनात स्वास्थ्यकर्मी भी अक्सर नदारद रहते हैं. दूसरी तरफ स्टेशन से निकलने के कई रास्ते हैं, लेकिन केवल एक जगह जांच स्टॉल लगाकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा खानापूर्ति किया जा रहा है.
लोगों को किया जा रहा जागरूक
वैसे कोडरमा जिला प्रशासन ने भी कई एहतियाती कदम उठाए हैं. झुमरीतिलैया शहर में सब्जी बाजार को फिर से खुले स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है. मास्क पहनने और शारीरिक दूरी का पालन करने को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. पालन नहीं करने पर जुर्माना वसूला जा रहा है. लेकिन कोरोना पर लगाम नहीं लग पा रहा है.
इस दौरान सैंपल देने वाले आइसोलेट होने की बजाय लोगों से मिलते रहते हैं. ऐसे में अगर वे संक्रमित होते हैं तो उनसे दूसरों को संक्रमित होने की आशंका रहती है. रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद वे खुद को आइसोलेट करते हैं, लेकिन तब तक मामला बिगड़ जाता है. संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को भी संक्रमित कर चुका होता है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि कोरोना को लेकर जितनी दोषी जनता है, उससे कहीं अधिक स्वास्थ्य विभाग है.
जांच नहीं करवाना चाहते
बता दें कि किसी परिवार के एक सदस्य की मौत कोरोना से हो जाती है तो बाकी सदस्य जांच नहीं कराना चाहते हैं. उनका कहना है कि हमें डर है कि हमें झूठा पॉजिटिव रिपोर्ट देकर डोमचांच महिला कॉलेज के डेडिकेटेड कोविड केअर सेंटर में मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा. ऐसे में हमारा भी वही हाल होगा, जो हमारे परिवार के सदस्य का हुआ है. उनका कहना है कि डेडिकेटेड अस्पताल तो बनाया गया है, लेकिन हर तरफ लापरवाही है.
लोगों को है जांच रिपोर्ट का इंतजार
तारीख कुल मामले रिपोर्ट आना बाकी
- 11 अप्रैल 70 6000
- 12 अप्रैल 125 5999
- 13 अप्रैल 90 5931
- 14 अप्रैल 125 5873