आम अवाम के बीच नहीं कर पाए लोकतंत्र को परिभाषित : श्याम नारायण सिंह

इप्टा के कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा- रेत रेत कर हत्या की जा रही है लोकतंत्र की...सभी तंत्रों में श्रेष्ठ है लोकतंत्र Medininagar: देश दुनिया में जिन तंत्रों से सत्ता का संचालन किया जाता है उनमें लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ है. हमारा देश संसदीय प्रणाली से संचालित की जाती है जो लोकतंत्र पर आधारित है. ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि हमारे देश में लोकतंत्र नहीं है. हां, यह जरूर है लेकिन हमारे देश के लोकतंत्र में कुछ खामियां प्रवेश कर गई है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि 75 वर्षों में हम आम अवाम के बीच लोकतंत्र को परिभाषित नहीं कर पाए. इस गलती को हमें स्वीकार करना चाहिए. लोकतंत्र को परिभाषित करना और लोगों तक पहुंचना हमारी जिम्मेदारी थी. उक्त बातें वरिष्ठ नेता सह कांग्रेस पार्टी के शिक्षा विभाग झारखंड के प्रांतीय अध्यक्ष श्याम नारायण सिंह ने कही. इप्टा द्वारा संचालित सांस्कृतिक पाठशाला की 38वीं कड़ी में “लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र” विषय पर आयोजित परिचर्चा में वो बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि एक समय था जब लोकतंत्र का अपराधीकरण हो गया था और आज लोकतंत्र का व्यवसायीकरण हो गया है. इसे भी पढ़ें-मनमोहन">https://lagatar.in/there-have-been-many-scams-in-manmohan-singhs-government-also-bjp/">मनमोहन

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पूंजीवाद का नकाब पहन लोकतंत्र कर रहा नंगा नाच : गौतम

परिचर्चा की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए गौतम कुमार ने कहा कि आज लोकतंत्र पूंजीवाद का नकाब पहनकर नंगा नाच कर रहा है. जो लोकतंत्र का चरित्र नहीं हो सकता. ऐसा कहना ज्यादा सटीक होगा कि लोकतंत्र पूंजीवाद की कैद में है. शिशुपाल ने कहा कि आज लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है. समाज के प्रत्येक लोगों को एक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में लोकतंत्र बचाने की प्रक्रिया में शामिल होना होगा. शिक्षक संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि 24% मत प्राप्त करके संसदीय प्रणाली को चलाते हैं, यह कैसा लोकतंत्र है? आज मतदान दारू और मुर्गा पर होता है. जाहिर है कि लोकतंत्र दारू के नशे में है. ईमानदार कौन है इसका टेस्ट तभी होगा जब हमारे सामने दारू और मुर्गा रख दिया जाए तब भी हम ईमानदार रहें. इप्टा के जिला अध्यक्ष प्रेम भसीन ने कहा कि आज से बरसों पहले प्लूटो ने कहा था कि डेमोक्रेसी इज द गवर्नमेंट ऑफ़ फूल्स. आज यह वाक्य चरितार्थ हो रहा है. आखिर उसने ऐसा क्यों कहा था? यह आज विचार करने की जरूरत है. क्योंकि उस जमाने में शिक्षा का प्रसार नहीं था और आज भी नहीं है. अर्थात डेमोक्रेसी शिक्षित लोगों के लिए है. आज लोकतंत्र की हत्या रेत-रेत कर की जा रही है. इसे समझना होगा और लोगों को समझना होगा. इसे भी पढ़ें-कांग्रेस">https://lagatar.in/congress-put-lakhs-of-people-in-jail-during-emergency-shah-targets-rahul/">कांग्रेस

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लोकतंत्र को कमजोर कर रहा सत्ता प्रतिष्ठान : कुलदीप

वहीं शिक्षक गोविंद जी ने कहा कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश में 14वें स्थान पर था. एक सर्वे के दौरान रिपोर्ट में कहा गया है कि आज हमारा देश लोकतांत्रिक पद्धति में 45वें स्थान पर है. यह सबसे गंभीर तथ्य है. लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं. व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता. आज इन चारों पर व्यवस्थापिका का प्रभाव है. ऐसे में लोकतंत्र को बचाना हमारी जिम्मेवारी है. कुलदीप जी ने कहा कि लोकतंत्र को कमजोर करने की प्रक्रिया सत्ता के द्वारा हो रही है. इसे मजबूत करने के लिए हमें आगे आकर सोचना होगा और लोगों के बीच जाना होगा. परिचर्चा के दौरान घनश्याम कुमार, संजीव कुमार संजू, एवं अन्य साथियों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त किया. चर्चा के प्रारंभ में प्रेम प्रकाश ने विषय प्रवेश कराया. परिचर्चा की अध्यक्षता कांग्रेस पार्टी के शिक्षा झारखंड के प्रांतीय अध्यक्ष श्याम नारायण सिंह एवं ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय अध्यक्ष शिव शंकर प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया. संचालन शिव शंकर प्रसाद एवं धन्यवाद ज्ञापन रविशंकर ने किया. मौके पर उपेंद्र कुमार मिश्रा, अजीत कुमार, शशि पांडे सहित अन्य लोग उपस्थित थे. [wpse_comments_template]