चरण के बाद अभिनेता वरुण तेज कोरोना भी हुए कोरोना संक्रमित
गांव तो दूर, शहरों में भी है इंटरनेट की समस्या
वहीं दूसरी ओर शहरों से गांवों की ओर पलायन करने वाले मजदूरों को, जो अपने गांव वापस जा चुके हैं, उनके बच्चे शायद ही कभी वापस अपने स्कूल लौट सकेंगे. कोरोना के दौरान घरों में बच्चों की पढ़ाई के लिए कई तरीके अपनाये गये हैं. हमारे देश में गांव तो दूर, कुछ शहरों में भी इंटरनेट चलने की गारंटी नहीं है. कई परिवारों के पास कंप्यूटर और स्मार्टफोन की सुविधा भी नहीं है.बच्चों पर पड़ा है लॉकडाउन का सबसे बुरा असर
कोरोना महामारी के कारण हुआ लॉकडाउन मिडिल क्लास और लोअर क्लास फैमिलीज के बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर हुआ है. लॉकडाउन में स्कूली बच्चे अपने घरों में तनाव जैसी मानसिक बीमारी से जूझते रहे हैं. इस स्थिति में उन बच्चों की पढ़ाई के साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर खास ध्यान देना जरूरी है. ऑनलाइन क्लासेज होने के कारण बच्चे फोन पर ज्यादा समय बिताने लगे हैं. उनकी इन आदतों को बदल पाना काफी ज्यादा मुश्किल हो सकता है. शायद अब स्कूलों के खुलने के बाद भी बच्चों को काउंसलिंग की जरूरत पड़ सकती है. [caption id="attachment_14351" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> आजकल बच्चों को इंटरनेट की लत लगती जा रही है, जो उनकी मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल रही है[/caption]
बच्चों में बढा तनाव, जानिए क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
रांची के सदर अस्पताल की साइकोलॉजिस्ट, डॉ नाजिया कौसर बताती हैं कि कोरोना काल में वयस्क और बूढ़ों के साथ-साथ बच्चों पर भी मानसिक प्रभाव पड़ा है. ऑनलाइन क्लासेज होने के कारण एजुकेशन लेवल नीचे गिरा है. स्कूल बंद होने से बच्चों की दिनचर्या बिगड़ गयी है. बच्चों के घरों में रहने से सामाजिकता की कमी आयी है. बच्चे चिड़चिड़े हो गये हैं. ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देना और उनके इमोशन को समझने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें:भारत">https://lagatar.in/india-again-becomes-a-member-of-the-security-council-for-two-years-when-will-it-get-a-permanent-seat/14340/">भारतफिर दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का सदस्य बना, स्थायी सीट कब मिलेगी? चाइल्ड साइकोथैरेपिस्ट डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा का कहना है- स्कूल बंद रहने से बच्चों में सीखने और समझने की कौशलता में कमी आ रही है. स्थिति जल्द सामान्य नहीं होगी. इससे उबरने में बच्चों को कई महीने लग सकते हैं. स्कूली बच्चे अपने दोस्तों के साथ आमने-सामने नहीं खेल पाने से मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं. जो बच्चे थोड़ा कम बोलते हैं और कम घुलते-मिलते हैं, वैसे बच्चे काफी ज्यादा मानसिक तनाव में रहते हैं. ऐसे समय में बच्चों को काउंसलिंग की बेहद जरूरत है. [caption id="attachment_14362" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> बच्चों की वजह से पेरेंट्स पर भी पड़ रहा है बुरा असर[/caption]
बच्चों की वजह से पेरेंट्स पर पड़ रहा असर
अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन में कई महीनों से बच्चे घरों में कैद रहे हैं. इसके कारण बच्चों ने रेगुलर टीवी, फोन, कंप्यूटर जैसी इलेक्ट्रानिक उपकरणों का इस्तेमाल करके अपने डेली रूटीन को बदल दिया है. वे छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ाने लगे हैं, जिससे पेरेंट्स उन्हें हैंडल नहीं कर पाते. पेरेंट्स अधिक गुस्सा करने लगते हैं. पेरेंट्स भी घरों में रहते हुए बोर हो गये. इस वजह से वे कभी-कभी खुद में तनाव महसूस करने लगे हैं. इसे भी पढ़ें:जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-four-cybercrime-criminals-arrested-absconding-on-one-occasion/14322/">जामताड़ा: साइबर क्राइम के चार अपराधी गिरफ्तार, एक मौके से हुआ फरार