गौवंश तस्करी का अड्डा बनता जा रहा पश्चिमी सिंहभूम, पुलिस रोकने में विफल

  • ओडिशा, पश्चिमी सिंहभूम से होते हुए गौवंशीय पशुओं को ले जाया जाता बंगाल 
  • पुलिस की कार्यशैली पर उठे रहे सवाल
Ganesh Kumar Manoharpur  :  पश्चिमी सिंहभूम जिला इन दिनों गौवंशीय पशुओं की तस्करी का अड्डा बनता जा रहा है. हर दिन शाम ढलते ही तस्करी का यह गोरखधंधा शुरू हो जाता है. रात के अंधेरे में ओडिशा व जिले के कई प्रखंड़ों से गौवंशीय पशुओं की खरीदारी कर पश्चिम बंगाल, फिर वहां से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है. स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस गोरखधंधे में आनंदपुर, बिसरा, गोइलकेरा, सोनुआ और चक्रधरपुर के कई गौवंशीय पशु कारोबारी शामिल हैं, जो इन्हें बंगाल तक भेजने का पूरा जिम्मा उठाते हैं. सूत्रों के अनुसार, गौवंशीय पशुओं की तस्करी करने वाले सुनियोजित ढंग से काम करते हैं. पहले पशुओं को हांककर (किसी को पुकारनी) आनंदपुर, बिसरा, गोइलकेरा, सोनुआ के रास्ते विभिन्न जगहों पर इकट्ठा किया जाता है, फिर उन्हें वाहनों में लादकर बंगाल भेजा जाता है. फिर यहां से पशुओं को बांग्लादेश पहुंचाया जाता है. इसे भी पढ़ें : CCL">https://lagatar.in/cases-ranging-from-bribery-to-illegal-transactions-are-being-exposed-every-second-month-in-ccl/">CCL

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आनंदपुर के रास्ते सबसे ज्यादा होती है तस्करी आनंदपुर के रास्ते सबसे ज्यादा गौवंशीय पशुओं की तस्करी होती है. सूत्रों के अनुसार, रात 9 बजे से 11 बजे तक तीन से चार खेप में मवेशी तस्करों की आनंदपुर प्रखंड में इंट्री होती है. सौदे के तस्कर ओडिशा के रास्ते आनंदपुर के बेड़ातुलुंडा से पेटर होते हुए शाम 5 से 6 बजे पार करते हैं. आनंदपुर और बिश्रा सोनुआ के तस्कर अक्सर ओडिशा के रास्ते नुवागांव, रुंघी, बौड़ेता, चारबंदिया से भादरा के जंगल होते हुए समीज के रास्ते सोनुआ की तरफ जाते हैं. वहीं दूसरा मुख्य मार्ग ओडिशा के रास्ते मनोहरपुर के रायकेरा होकर हैं. जहां तस्कर कोयल नदी पार कर ढीपा, बड़पोस होते हुए गोइलकेरा और फिर सोनुआ पहुंचते हैं. इसे भी पढ़ें : बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-sp-did-not-pick-up-mlas-phone-police-reached-the-spot-after-one-and-a-half-hours/">बोकारो

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जुलाई 2024 के बाद से कोई कार्रवाई नहीं 5 जुलाई 2024 को एसपी के आदेश पर 150 मवेशियों को जब्त किया गया था. लेकिन उसके बाद से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. जबकि आनंदपुर क्षेत्र से अब भी खुलेआम तस्करी हो रही है. जब आनंदपुर थाना प्रभारी प्रिंस झा से इस संबंध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गौवंशीय पशुओं की तस्करी की रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 के बाद से अब तक उन्हें तस्करी की कोई जानकारी नहीं मिली है. इसे भी पढ़ें : कर्नल">https://lagatar.in/colonel-qureshi-case-sc-reprimanded-minister-vijay-shah-said-he-spoke-responsibly-while-sitting-in-a-high-position/">कर्नल

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पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मवेशियों से लदे वाहन जिले के कई थाना क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं, लेकिन पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है. पुलिस की मिलीभगत के बिना तस्करी का कार्य संभव नहीं है. उनका आरोप है कि तस्करी में पुलिस वाले भी शामिल हैं, इसलिए जिले में बिना रोक-टोक के गौवंशीय पशुओं की तस्करी का कारोबार फलफूल रहा है. रांची व दूसरे बड़े शहरों में रह रहे हैं गौवंशीय पशु तस्कर गौवंशीय पशुओं की तस्करी में संलिप्त कई लोग पश्चिमी सिंहभूम जिले के आनंदपुर, बिसरा, गोइलकेरा, सोनुआ क्षेत्र के हैं. वहीं तस्करी में शामिल कई लोग अब रांची और अन्य बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं. लेकिन पूरे नेटवर्क को फोन के जरिये संचालित कर रहे हैं. इन तस्करों ने इस अवैध व्यापार से बड़ी संपत्ति खड़ी कर ली है और रईसी की जिंदगी जी रहे हैं. एक स्थान से दूसरे स्थान तक खेप पहुंचाने के लिए दिए जाते हैं 5 से 6 हजार सूत्रों के अनुसार, गौवंशीय मवेशियों को हांकने वाले लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए 5 से 6 हजार रुपये दिये जाते हैं, जिसके कारण कई लोग इस तस्करी में शामिल हो रहे हैं. इसे भी पढ़ें : J&K">https://lagatar.in/jk-encounter-with-security-forces-in-tral-3-jaish-terrorists-killed/">J&K

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