कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर 57519.41 हेक्टेयर वन को सेंक्चुरी और 13.06 किलोमीटर को कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की वजह से राज्य को आर्थिक नुकसान होने के अलावा आयरन ओर पर आधारित उद्योगों के प्रभावित होने की आशंका है.
सारंडा को सेंक्चुरी और कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने के मामले में देर होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए वन सचिव को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के आलोक में वन सचिव कोर्ट में हाजिर हुए थे. उन्होंने न्यायालय से माफी मांगी. साथ ही सेंक्चुरी और कंजर्वेशन रिजर्व के मुद्दे पर एक शपथ पत्र दायर किया. इसमें मूल प्रस्ताव से ज्यादा के क्षेत्रफल पर सेंक्चुरी घोषित करने की बात कही गयी थी.मूल प्रस्ताव में 31.46 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी घोषित करने का उल्लेख किया गया था. लेकिन शपथ पत्र में 57.51 हज़ार हेक्टेयर को सेंक्चुरी और 13.06 किलोमीटर को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने का उल्लेख किया गया. मुख्य सचिव के स्तर पर हुई समीक्षा के दौरान पाया गया कि कंजर्वेशन रिजर्व के लिए तैयार किये गये नक्शा में माइनिंग क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा शामिल हो गया है. इससे रिजर्व घोषित होने के बाद इस क्षेत्र में आयरन ओर का माइनिंग बंद हो जायेगा.
समीक्षा के दौरान पाया गया कि नक्शे में वर्णित क्षेत्र के हिसाब से आयरन ओर के निजी खदानों के अलावा सरकारी खदाने भी प्रभावित होंगी. इससे राज्य सरकार को आर्थिक नुक़सान होगा. इस बात के मद्देनजर मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया.संशोधित प्रस्ताव तैयार करने के लिए खान और वन विभाग के अधिकारियों को मिला कर एक समिति का गठन करने का फैसला किया गया. यह समिति स्थल का निरीक्षण कर नये सिरे से संशोधित रिपोर्ट तैयार करेगी, ताकि राज्य को माइनिंग के क्षेत्र में नुकसान नहीं उठाना पड़े.