रोजगार की मांग को लेकर 23 सितंबर को मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन

 -सरकारों की श्रमिक व आर्थिक विरोधी नीतियों के विरुद्ध राज्यव्यापी प्रदर्शन 23 सितम्बर को -मनरेगा कानून 2005 जीडीपी का 4 प्रतिशत राशि मनरेगा के लिए आवंटित थी -भाजपा सरकार ने जिसे घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया -वर्तमान वित्त वर्ष मे कर दिया 1.7 प्रतिशत -रोजगार सृजनता के मामले में देश मे झारखंड 11वें पायदान पर -23 सितम्बर 2022 को राज्यभर के प्रखण्ड मुख्यालयों के समक्ष मजदूर सडकों पर उतरेंगे Praveen Kumar Ranchi: असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने वाला महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून देश का एकमात्र योजना है. केन्द्र सरकार मनरेगा बजट में लगातार कटेती कर रहा है जिसका असर राज्य के ग्रामीण अंचलों में दिखने भी लगा है. ग्रामीण इलाकों से मजदूर परिवारों का पलायन तेजी से राज्य के बाहर के शहरों और महानगरों की ओर होने लगा है. रोजगार को लेकर ग्रामीण इलाकों का आक्रोश 23 सितम्बर को राज्य भर के प्रखण्ड मुख्यालयों मे दिखेगा, जहां मजदूर सडकों पर उतरेंगे और रोजगार की मांग करेंगे. वहीं झारखंड मनरेगा मजदूरों को रोजगार उपल्ध कराने के मामले मे देश स्तर पर 11 वें पायदान पर है. इसे भी पढ़ें-हजारीबाग:">https://lagatar.in/hazaribagh-conflict-between-two-sides-in-land-dispute-country-made-pistol-recovered/">हजारीबाग:

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कोरोना काल में किए गये थे बेहतर कार्य

वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 1.11 लाख करोड़ रूपये खर्च कर 7.5 करोड़ परिवारों के 11 करोड़ श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया था, जो 16 सालों के इतिहास में सर्वाधिक बजटीय आवंटन था. कोविड संक्रमण काल जब आर्थिक गतिविधियाँ बन्द थी, तब मजदूरों को ब्यापक पैमाने पर रोजगार मुहैया कराना था.

मनरेगा को लेकर केन्द्र सरकार उदासीन

आरोप है कि ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाली योजना मनरेगा के प्रति केंद्र की बीजेपी सरकार लगातार सौतेला व्यवहार कर रही है. पिछले वर्ष जब लोकसभा में 2021-22 का बजट वित्त मन्त्री ने पेश की, तो उसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 के मुकाबले 25.51 प्रतिशत की कटौती करते हुए महज 73,000 करोड़ रूपये आवंटित की गई. बाद में पुनर्क्षित बजट प्रावधान में 25,000 करोड़ की राशि शामिल करते हुए इसे 98,000 करोड़ रूपये की गई. लेकिन बजट कटौती के बावजूद भी इस वर्ष 6.74 करोड़ परिवारों के 9.75 करोड़ मजदूरों ने मनरेगा योजनाओं में कार्य किये.

किस राज्य मे कितना मानव दिवस रोजगार

उत्तर प्रदेश 188,4 14,587 राजस्थान 168,565,001 आंध्र प्रदेश 167,956,454 तमिलनाडु 150,426,216 मध्य प्रदेश 128,053,836 तेलंगाना 9,76,52,201 उड़ीसा 93,878,494 कर्नाटका 7,27,45,245 असम 35,871,981 पश्चिम बंगाल 34,974,892 झारखंड 3,07,78,925

केन्द ने किया 12 प्रतिशत की कटौती

पिछले वर्ष जहाँ कुल बजट आवंटन 98,000 करोड़ रूपये था उसके मुकाबले 12 प्रतिशत की कटौती करते हुए सिर्फ 73,000 करोड़ बजट आवंटित की है. इस बजट आवंटन की गहराई में जाते हैं तो 73,000 करोड़ में से 18,350 करोड़ तो वित्तीय वर्ष 2021-22 बकाये भुगतान में ही खर्च हो जाएँगे. इसका मतलब यह हुआ कि वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक बजट आवंटन राशि सिर्फ 54,650 करोड़ है. बजट कटौती का प्रत्यक्ष प्रभाव ग्रामीण भारत के खेत मजदूरों पर पड़ रहा है. पलायन की रफ्तार राज्य के कई इलाको में समय पर बारिश न होना भी बढ़ा दिया है.ग्रा मीण मजदूर परिवारों का पलायन तेजी से शहरों और महानगरों की ओर होने लगा है. राज्य मे मनरेगा मजदूरी न्यूनतम कृषि मजदूरी से भी कम है. रोजमर्रा की खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी चीजें महँगी होने से हालात ख़राब हो रहे हैं. राज्य सरकारें राशि के अभाव में मजदूरों को काम देने से सीधे मना कर रहे हैं. गांवों में प्रारंभ की गई योजनाओं पर ग्रहण लग गया है. इसे भी पढ़ें-आदित्यपुर">https://lagatar.in/adityapur-demand-for-allotment-of-houses-to-the-people-living-in-the-houses-of-the-housing-board-for-more-than-10-years/">आदित्यपुर

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कई योजनाओं का रुका काम

एक ओर सरकार बजट आवंटन में निरंतर कमी कर रही है, दूसरी तरफ लोग मनरेगा में काम करने से खुद कतराने लगें, इसके लिए तरह –तरह के तकनीकी बाधाएं खड़ी कर रही है. पहले सरकार ने जातिवार एफटीओ सृजित करना प्रारंभ किया. पिछले दिनों मई के महीने से आदेश निर्गत है कि हाजरी सिर्फ स्मार्ट फोन के जरिये ही सीमित समय अवधि के अंदर लगानी है. साथ में सुबह और शाम दो बार मजदूरों को कार्यस्थल के साथ फोटो अपलोड करना अनिवार्य है. 1 अगस्त से नया आदेश लागू है जिसके अनुसार किसी भी ग्राम पंचायत में 20 से ज्यादा योजनाएँ नहीं चलाई जाएँगी, जबकि कमजोर मानसून के कारण राज्य में सुखाड़ के हालात हैं. ऐसे में ग्रामीण परिवारों के समक्ष करो या मरो की स्थिति आ गई है.

क्या कहते हैं जेम्स हेरेज

झारखंड नरेगा वाच के संयोजक जेंम्स हेरेंज ने कहा कि राज्य में मनरेगा मजदूरों समय पर मजदूरी नहीं मिलने से परेशान थे. अब तो काम भी नहीं मिल पा रहा हैं. इसको लेकर मनरेगा मजदूरों के द्वारा 23 सितंबर को प्रखंड मुख्यालय में रोजगार की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे. [wpse_comments_template]