ये रहे बैठक के प्रमुख चर्चा बिंदु
• वामपंथी उग्रवाद: डीजीपी ने सार्वजनिक उपक्रमों के आसपास सक्रिय वामपंथी उग्रवादी गतिविधियों और उनके संभावित खतरों पर चर्चा की. • संगठित आपराधिक गिरोह: राज्य में सक्रिय संगठित अपराध सिंडिकेट्स और उनके सार्वजनिक उपक्रमों पर प्रभाव की समीक्षा की गई. • जबरन वसूली: सार्वजनिक उपक्रमों से रंगदारी या जबरन वसूली से संबंधित मामलों पर विचार किया गया. • धमकी भरे कॉल: सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाली धमकी भरी कॉलों से संबंधित दर्ज मामलों की प्रगति पर चर्चा हुई.महीने में एक बार अनिवार्य बैठक का निर्देश
डीजीपी ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SPs) को निर्देशित किया कि वामपंथी उग्रवाद, संगठित अपराध, रंगदारी, धमकी भरे कॉल, अवैध धरना-प्रदर्शन और अन्य संवेदनशील मामलों में संबंधित धाराओं के अंतर्गत अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज की जाए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को किसी भी स्थिति में हल्के में न लिया जाए और त्वरित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. डीजीपी गुप्ता ने सभी थाना प्रभारियों को यह निर्देश दिया कि वे अपने क्षेत्राधिकार में स्थित सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़े कर्मियों के साथ हर महीने कम-से-कम एक बार बैठक अवश्य करें. इन बैठकों का उद्देश्य आपसी समन्वय और सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है. उन्होंने यह भी कहा कि थाना प्रभारी आवश्यकतानुसार संबंधित कर्मियों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखें और किसी भी जांच में उनका पूरा सहयोग प्राप्त करें. इसके साथ ही डीजीपी ने खुफिया तंत्र को और मजबूत बनाने पर विशेष जोर दिया. उन्होंने निर्देश दिया कि यदि किसी संभावित खतरे या संवेदनशील जानकारी का संकेत मिले, तो उसे तुरंत पुलिस मुख्यालय को सूचित किया जाए, ताकि समय रहते आवश्यक निवारक उपाय किए जा सकें. इसे भी पढ़ें - विदेश">https://lagatar.in/foreign-ministry-press-conference-army-blows-up-air-defense-system-in-lahore/">विदेशमंत्रालय की प्रेस कॉंफ्रेंस, सेना ने लाहौर में Air Defence System उड़ाया