पिता, दो बहनों व छोटा भाई का बोझ
हालत यह है कि अजय और उसका परिवार घोर मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है. मलकेरा में टूटी -फूटी झोपड़ी नुमा उसके घर में पिता, दो बहनों एवं एक छोटा भाई का बोझ उसके सर पर है. पिता जमुना पासवान टीबी के मरीज हैं. जवान बहनों की शादी करनी है. छोटा भाई किसी तरह मेहनत मजदूरी कर रहा है. साफ है कि भरपेट भोजन भी इस गरीब परिवार को मयस्सर नहीं हो पा रहा है. कभी-कभी पूरे परिवार को भूखा सोना पड़ता है.उपायुक्त को सुनाया दुखड़ा, मिला मात्र आश्वासन
पढ़ाई में स्नातक व बोलने में असमर्थ दिव्यांग अजय टूटी-फूटी भाषा में कहता है कि वह धनबाद में दो-तीन बार उपायुक्त से उनके कार्यालय में मिल चुका है. हर बार उसे रोजगार का आश्वासन मिला है. मगर रोजगार नहीं मिला. सरकारी सहायता के नाम पर एक पीला राशन कार्ड है. दिव्यांग पेंशन के नाम पर 1000 मिलता है. इस राशि से घर चलाना दुश्वार हो रहा है. एक ओर सरकारी रहनुमाओं द्वारा जहां बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए बड़ी-बड़ी दलीलें दी जाती है, वहीं अजय की रोजगार विहीन दशा सरकारी योजनाओं का मखौल उड़ा रही है.प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं
इस राष्ट्रीय पारा एथलेटिक्स खिलाड़ी का टूटा-फूटा घर दर्शा रहा है कि गरीब, असहाय परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना से अभी तक महरुम है. एक तरफ भूमिहीन व आवास विहीन ग़रीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगो को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मुहैया करने का प्रावधान है. परंतु मलकेरा के इस गरीब परिवार को इस योजना का लाभ नहीं मिला.विधायक का पत्राचार भी काम नहीं आया
सचेतक सह सत्ता रूढ़ दल के टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने विगत वर्ष 2022 में 28 अप्रैल को झारखंड के मुख्यमंत्री एवं खेल मंत्री को पत्र लिखकर दिव्यांग अजय को नियोजन दिलाने की मांग की. परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई.मनरेगा के तहत मदद मिल सकती है : बीडीओ
[caption id="attachment_566321" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="169" /> सुनील कुमार प्रजापति बीडीओ बाघमारा[/caption] बाघमारा के बीडीओ सुनील कुमार प्रजापति का कहना है कि मनरेगा के तहत मदद मिल सकती है. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना का लाभ भी दिया जा सकता है. [wpse_comments_template]