धनबादः मित्रता हो तो श्री कृष्ण और सुदामा जैसी- त्रिदेव शास्त्री

Dhanbad : गोविंदपुर के गोसाईंडीह में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापह हो गया. कथा के अंतिम दिन कथा व्यास त्रिदेव शास्त्री ने मित्रता का मर्म समझाया. कहा कि मित्रता अगर देखनी हो तो श्री कृष्णा और सुदामा की देखें. एक महाराजा और दूसरा दरिद्र ब्राह्मण. दोनों की मित्रता अंतरात्मा से थी. लेकिन आज लोगों में दोस्ती कामर्शियल हो गई है. लेन-देन हो, व्यापार चलता हो तो मित्रता है, अन्यथा नहीं. व्यापार और लेन-देन छुटते ही मित्रता समाप्त हो जाती है. उन्होंने कहा कि सुदामा पोटली में चावल बांधकर श्री कृष्ण से मिलने द्वारिका गए थे. सुदामा को देखते ही श्री कृष्ण ने उनकी स्थिति जान ली थी. सुदामा जब वापस लौटने लगे, तो बार-बार कहा कि अब मैं जा रहा हूं. उन्हें लगा कि श्री कृष्ण जाते वक्त कुछ दे देंगे, पर इसके पहले ही श्री कृष्ण ने उनकी झोपड़ी को महल में बदल दिया था. जब सुदामा अपने घर पहुंचे तो झोपड़ी ढूंढने लगे, परंतु वह झोपड़ी थी ही नहीं. फिर उन्हें पता चला कि उनकी झोपड़ी महल में बदल गई है. त्रिदेव शास्त्री ने कहा कि मित्रता वही जो सुख-दुख में एक-दूसरे के काम आए. लेकिन आज की मित्रता स्वार्थ की हो गई है. स्वार्थ सधने के बाद मित्रता समाप्त हो जाती है. कथा के दौरान शास्त्री ने देश के वीर जवानों के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना की. इससे पूर्व मुख्य यजमान राजकुमार गिरि ने सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया. भाजपा नेत्री तारा देवी, प्रखंड प्रमुख निर्मला सिंह, डीएन सिंह, धरनीधर मंडल, वीरेंद्र सिंह, गणेश गिरि, नीरज मिश्रा आदि ने कथा व्यास को सम्मानित किया और आशीर्वाद लिया. यह भी पढ़ें : झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-applications-invited-for-vc-post-in-four-universities/">झारखंड

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