फ्यूमिगेशन के बिना फंगल इंफेक्शन पर कंट्रोल करना मुश्किल: डॉ मनोज

Ranchi : रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि फंगल इंफेक्शन को रोकने के लिए फ्यूमिगेशन सबसे जरूरी हथियार है. उन्होंने बताया कि अबतक ब्लैक फंगस के जितने भी मरीज सामने आए हैं, सब कोरोना संक्रमित थे और प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहे थे. उन्होंने सभी अस्पतालों से आग्रह किया कि वह अपने एरिया को डिकॉन्टैमिनेट करते रहें. आईसीयू सहित अन्य मशीनों को डिकॉन्टैमिनेट करने से फंगल इंफेक्शन कम हो जाएगा. साथ ही उन्होंने रिम्स प्रबंधन को भी सलाह दी है कि जहां भी ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती है, वहां एक अलग से स्पेस खाली रखा जाए, ताकि बीच-बीच में फ्यूमिगेशन किया जा सके. बिना फ्यूमिगेशन के इंफेक्शन कंट्रोल करना मुश्किल है.

रिम्स में चार और मेडिका में पांच मरीज भर्ती

उन्होंने बताया कि सभी अस्पतालों को इंफेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए ताकि लोगों को इस तरह के फंगस का सामना ना करना पड़े. डॉ मनोज ने बताया कि यह फंगस ऐसे लोगों को इफेक्ट करता है जिनको अधिक स्टेरॉयड चलाया जाता है, या जिनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता कम रहती है. जैसे गंभीर बीमारी के मरीजों और शुगर के मरीज को. रिम्स में चार मरीज भर्ती हैं. मेडिका में ब्लैक फंगस के पांच मरीज हैं.

एचआईवी कैंसर से ठीक हुए मरीजों में पाये गये थे लक्षण

मेडिका की डॉक्टर अनिंदया अनुराधा ने बताया कि अब तक यह बीमारी एचआईवी कैंसर से ठीक हुए मरीजों में पाया गया था, पर बहुत से रेयर स्थिति में ऐसा हुआ था. कोरोना के मामले में यह बहुत अधिक है. डॉक्टर अनिंदया अनुराधा ने बताया कि इससे बचने के लिए शुगर को किसी भी हाल में बढ़ने नहीं देना है. अगर बढ़ रहा है तो तुरंत इंसुलिन या दवा के माध्यम से कम कर लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि मरीज बढ़ रहे हैं, पर लोगों को लक्षण समझ नहीं आ रहा. जागरुकता की जरूरत है.

इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की चाहिए टीम

डॉ अनिंदया अनुराधा ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार होता है तो उसके इलाज के लिए एक विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम जरूरी है. डॉक्टरों की इस टीम में ईएनटी, ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, मैक्सीलोफैसियल, न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरो सर्जरी के डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है. झारखंड में ऐसे डॉक्टरों की टीम बहुत ही कम अस्पतालों के पास है. इसलिए पहले से ही ऐसे सेंटर की तलाश कर रख लेनी चाहिए, ताकि तत्काल वहां पहुंचा जा सके.

दवा से किडनी पर पड़ता है असर

डॉक्टर ने बताया कि इसके इलाज के लिए लंबे समय हॉस्पिटल में रहने की जरूरत पड़ती है. इसकी दवा से किडनी में भी असर पड़ता है.

क्या हैं लक्षण

  • नाम से या थूक से काले रंग का डिस्चार्ज होना
  • आंख की पलकें लगातार गिरना
  • आंख का मूवमेंट बंद हो जाना
  • चेहरे की हड्डियों में सूजन आना

क्या है बचाव

  • लगातार शुगर और बीपी चेक करते रहना चाहिए
  • शुगर बढ़ने पर तुरंत इंसुलिन या दवा से कम कर लेना चाहिए
  • कोरोना से ठीक होने के बाद भी लगातार गर्म पानी से गार्गल करते रहना चाहिए
  • घर में कूलर हो तो उसका पानी साफ रखें
  • अस्पताल में वेंटिलेटर का पानी साफ कराते रहें