इस पूरी खरीद बिक्री के दौरान अंचल कार्यालय के अमीन सहित अन्य अधिकारियों कर्मचारियों के साथ मिल कर तैयार गलत रिपोर्ट का सहारा लिया गया. अदालत ने पूरे मामले को सुनने और संबंधित दस्तावेज देखने के बाद फौलाद व अन्य को “लैंड ग्रेबर” के रूप में चिह्नित करते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.इसके बाद फौलाद सहित अन्य सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2023 में अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. इन अभियुक्तों के खिलाफ वर्ष 2021 से ही गैर जमानती वारंट जारी है. अग्रिम जमानत के लिए चली इस कानूनी लड़ाई के बीच कई जांच अधिकारियों के तबादले हुए. इस दौरान इस जालसाजी के आरोप में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी को झूठ करार देकर अभियुक्तों को बचाने की कोशिश की गयी. हालांकि हंगामा होने के बाद मार्च 2025 में मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया. एसआइटी में बोकारो स्टील सिटी थाना के प्रभारी सुदामा दास, सेक्टर-4 के थाना प्रभारी संजय कुमार, सेक्टर-12 के थाना प्रभारी सुभाष कुमार सिंह, सेक्टर-6 के थाना प्रभारी संगीता, पिंड्राजोर थाना प्रभारी अभिषेक रंजन के अलावा पुलिस अधिकारी अनिकेत कुमार को शामिल किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने के 2 साल बाद भी भू-माफिया की गिरफ्तार नहीं
Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने भू-माफिया धनंजय प्रसाद फौलाद सहित अन्य की अग्रिम जमानत याचिका 2023 में खारिज कर दी. लेकिन अभियुक्तों के अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. फौलाद सहित अन्य पर छह एकड़ के पावर ऑफ अटॉर्नी के सहारे 18 एकड़ जमीन बेचने के आरोप में जिला प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी को झूठ करार देने की कोशिश हुई. अब मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. जालसाजी का यह मामला बोकारो जिले के बांधगोड़ा मौजा से संबंधित है. जालसाजी के इस मामले में पिंड्राजोर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई. इसके बाद फौलाद, राम बचन और विश्वनाथ चौधरी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय में पाया कि मौजा बांधगोड़ा के खाता नंबर 28 के प्लॉट नंबर 978 मे कुल 21.88 एकड़ जमीन थी. इसमें से 3.98 एकड़ डीपीएलआर के नाम है और 7.42 एकड़ सीमांकित वन भूमि है. शेष 10.48 एकड़ जमीन रैयती है. रैयतों ने 1972-88 के बीच अपनी पूरी जमीन बेच दी. इसके बाद 2007 में एक रैयत के वंशज ने चंद्र दीप को छह एकड़ जमीन का पावर ऑफ अटर्नी दे दिया. हालांकि उसके पास बेचने के लिए कोई जमीन बची ही नहीं थी. इसके बाद चंद्र दीप मे अंचल कार्यालय के अधिकारियों कर्मचारियों से मिल कर छह एकड़ के पवार ऑफ अटॉर्नी के आलोक में 18 एकड़ जमीन फौलाद, विश्वनाथ आदि को बेच दी. इसके बाद इन लोगों ने इसे दूसरे लोगों को बेच दी.