घंटे बाद भी नहीं मिला कोलेबिरा डैम में डूबे किशोर का शव, परिजनों का बुरा हाल गांव में अब तक नहीं पहुंचे कोई सांसद या विधायक गांव के निवासी सम्राट बास्के, जगन्नाथ मुर्मू और भागीरथी बास्के बताते हैं कि आज तक कोई भी सांसद या विधायक गांव का दौरा करने नहीं आया है. गांव में पहुंचने के लिए कीचड़ भरी सड़कों से गुजरना पड़ता है. प्रखंड कार्यालय महज 10 किलोमीटर दूर है. लेकिन पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं. बारिश के मौसम में यदि कोई बीमार पड़ता है तो ग्रामीण उसे खटिया में लादकर कीचड़ भरे रास्ते से मटियातक तक लाते हैं, जिससे मरीज का इलाज पोटका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संभव हो पाता है. आवागमन की सुविधा नहीं, बच्चों की पढ़ाई भी बाधित
alt="vdvsdv" width="600" height="400" /> गांव में कोई वाहन नहीं पहुंचता. प्रधानमंत्री आवास योजना से अब तक 10 संथाल परिवार वंचित हैं. बच्चों को पढ़ाई के लिए तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है और बरसात के दिनों में खराब रास्तों के कारण वे स्कूल नहीं जा पाते. गांव में आंगनवाड़ी केंद्र भी नहीं है. तालाब बना जीवनरेखा टाटा स्टील द्वारा बनाए गए तालाब से ही ग्रामीण स्नान करते हैं और वही उनकी जीवनरेखा बन चुका है. गांव के पूर्व मुखिया व झारखंड लोक कल्याण नेता भागीरथी हांसदा ने बताया कि बरसात में गांव टापू जैसा बन जाता है. उनके कार्यकाल के दौरान ही गांव में बिजली, जलमीनार और 200 फीट सड़क का निर्माण हो पाया था. अब विकास की ओर देखती हैं आंखें झारखंड को अलग राज्य बने 24 साल हो चुके हैं और देश को आजाद हुए 75 साल, लेकिन सालखुडीह गांव आज भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. अब देखना यह होगा कि कब इस गांव पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की नजर पड़ती है और कब यह गांव वास्तव में विकास की मुख्यधारा से जुड़ पाता है. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/for-the-first-time-in-the-history-of-jharkhand-eight-naxalites-including-one-with-a-bounty-of-rs-1-crore-were-killed-together/">झारखंड
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