EXclusive - शराब घोटाला : अरूण पति त्रिपाठी ने पत्नी के नाम पर कंपनी बना कर विधु गुप्ता से बेची

Ranchi: झारखंड व छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मास्टर माइंड अरूणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी के नाम पर बनायी. बाद ने इसे प्रिज्म होलोग्राफी के मालिक विधु गुप्ता से बेच दिया. त्रिपाठी ने सरकार के समानांतर खड़ी की गयी अवैध शराब के व्यापार से 20 करोड़ रुपये कमीशन वसूला था. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान इसकी पुष्टि हुई है. झारखंड शराब घोटाले की जांच अभी जारी है. एसीबी के अलावा प्रवर्तन निदेशालय भी इसकी जांच कर रही है.

 

Uploaded Image

 

अरुण पति त्रिपाठी

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में पाया गया है कि त्रिपाठी ने वर्ष 2021 में एक कंपनी बनायी. इस कंपनी में अपनी पत्नी को निदेशक बनाया. हालांकि कंपनी का पूरा नियंत्रण अपने पास रखा. त्रिपाठी ने अपनी पत्नी के नाम बनी कंपनी के सहारे छत्तीसगढ़ कॉरपोरेशन (CSMSL) के लिए NIC द्वारा बनाये गये सॉफ्टवेयर में दुहराव किया. 

 

बाद में इसे प्रिज्म होलाग्राफी के मालिक विधु गुप्ता से बेच दिया. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान त्रिपाठी की पत्नी से भी कंपनी के सिलसिले में पूछताछ की गयी था. त्रिपाठी की पत्नी ने अपने नाम बनी कंपनी का नियंत्रण अपने पाति के पास होने की बात स्वीकार की थी.

 

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में त्रिपाठी द्वारा देशी शराब पर प्रति पेटी 50 रुपये की दर से कमीशन वसूली का मामला पकड़ में आया. जांच में पाया गया कि त्रिपाठी द्वारा तैयार की गयी सरकार के सामानांतर शराब के कारोबार के सहारे प्रति माह औसतन 200 ट्रक अवैध शराब फैक्ट्री से निकाल कर दुकानों तक पहुंचायी जाती थी. इन शराब की बोतलों पर पिज्म द्वारा प्रिंट किये गये अवैध होलोग्राम को लगाया जाता था, ताकि कहीं भी जांच में पकड़े जाने पर उसे वैध माना जाए.

 


जांच में पाया गया कि शराब फैक्ट्री द्वारा अवैध रूप से बनायी गयी शराब प्रति पेटी 560 रुपये की दर से शराब सिंडिकेट को सप्लाई की जाती थी. कॉरपोरेशन की दुकानों में सिंडिकेट द्वारा इसे 2320 रुपये में बेचा जाता था. अवैध शराब की बिक्री से होने वाली आमदनी में से कॉरपोरेशन के लिए 50 रुपये प्रति पेटी की दर से कमीशन वसूली जाती थी. जांच एजेंसी ने सिर्फ एक साल में कॉरपोरेशन के लिए 20 करोड़ रुपये कमीशन वसूले जाने की गणना की थी.

 

Uploaded Image

 

विधु गुप्ता


त्रिपाठी ने सुनियोजित साजिश के तहत शराब की वैध बिक्री से मिलने वाली राशि बैंक में जमा करने का काम सिद्धार्थ सिंघानिया से संबंधित कंपनी टॉप सिक्यूरिटीज को दी थी. इसी कंपनी के सहारे अवैध बिक्री से मिली राशि वसूलने का काम किया गया. त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले को अंजाम देने के बाद झारखंड को अपना निशाना बनाया. यहां भी शराब के व्यापार पर छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट को काबिज करा कर सरकार को नुकसान पहुंचा.