खुलासाः IAS विनय चौबे ने शराब नीति पर मुख्यमंत्री की सहमति लेने की नाकाम कोशिश की थी

Ranchi: तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे ने छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट द्वारा बनायी गयी नीति पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सहमति लेने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं विनय चौबे ने अन्य सीनियर अफसरों की सहमति लेने की भी नाकाम कोशिश की थी. यह सब करने के लिए विनय चौबे ने एक बैठक बुलायी थी. हालांकि इस बैठक में मुख्यमंत्री सहित दसूरे बड़े अधिकारी शामिल नहीं हुए.

 

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक राज्य में नयी शराब नीति बनाने के लिए उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) को कंसल्टेंट नियुक्त किया था. अरुणपति त्रिपाठी इस कंपनी के प्रबंध निदेशक थे. वह छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के जनक माने जाते हैं. 

 

तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे ने CSMCL को ही राज्य में शराब से राजस्व बढ़ाने के लिए नीति बनाने के लिए बुलाया था. CSMCL को राजस्व बढ़ाने के लिए उत्पाद विभाग और झारखंड बिवरेजेज कॉरपोरेशन को सुझाव देने की जिम्मेवारी दी गयी थी. इसके लिए कंपनी की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित की गयी थी. CSMCL ने शराब से राजस्व बढ़ाने के नाम पर उसी तरह की नीति बनाने का सुझाव दिया, जिस तरह की नीति पर छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला हुआ. 

 

दस्तावेजों के मुताबिक CSMCL का सुझाव मिलने के बाद तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे ने 13 फरवरी 2022 को एक पत्र जारी किया. इसमें यह कहा गया कि CSMCL ने राज्य में शराब के मिलने वाले राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए उत्पाद विभाग और झारखंड बिवरेजेज कॉरपोरेशन को कुछ सुझाव दिये हैं. इस सिलसिले में 14 फरवरी 2022 को CSMCL द्वारा एक प्रेजेंटेशन दिया जायेगा.

 

पत्र में इस आदेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि CSMCL द्वारा मुख्यमंत्री और उत्पाद मंत्री के समक्ष यह प्रेजेंटेशन दिया जायेगा. तत्कालीन उत्पाद सचिव ने बहुत ही चालाकी से CSMCL द्वारा प्रस्तावित प्रेजेंटेशन के लिए आयोजित बैठक में राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, राजस्व पर्षद सदस्य अमरेंद्र प्रताप सिंह और वित्त सचिव को आमंत्रित किया था.

 

बैठक का उद्देश्य प्रेजेंटेशन के बाद बनने वाली बैठक की कार्यवाही पर मुख्यमंत्री, उत्पाद मंत्री, मुख्य सचिव, सदस्य राजस्व पर्षद और वित्त सचिव से हस्ताक्षार कराकर उनकी सहमति हासिल करना था. ताकि CSMCL द्वारा तैयार नीति को सरकार के स्तर से पारित कराने में किसी तरह की आपत्ति और मुश्किल पैदा नहीं हो.

 

सीनियर अफसरों को इसलिए आमंत्रित किया गया था, क्योंकि CSMCL द्वारा बनायी गयी नीति पर सरकार के स्तर से सहमति लेने के लिए फाइल को उन्हीं अधिकारियों के पास से जुगरना था. हालांकि अपरिहार्य कारणों से इस बैठक में मुख्यमंत्री, तत्कालीन उत्पाद मंत्री और मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारी शामिल नहीं हुए. इससे CSMCL द्वारा बनायी गयी नीति पर मुख्यमंत्री व अन्य की समहमति लेने में तत्कालीन उत्पाद सचिव सफल नहीं हो सके.

 

यहां उल्लेखनीय है कि CSMCL द्वारा बनायी गयी उत्पाद नीति की समीक्षा के दौरान तत्कालीन राजस्व पर्षद सदस्य ने गंभीर आपत्ति और टिप्पणी की. लेकिन उत्पाद विभाग ने राजस्व पर्षद सदस्य अमरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा की गयी आपत्तियों के मद्देनजर उत्पाद नीति में आंशिक तौर पर संशोधन किया. और सरकार की सहमति लेकर नई शराब नीति को लागू कर दिया गया.