चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है. चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है. इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरूपयोग करना होगा. कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं. इसके बाद हम इसे लागू करेंगे.झारखंड-महाराष्ट्र में स्कीम्स की भरमार
बता दें कि महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक ऐसी योजनाओं की भरमार देखी गई है. महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई एंट्री पर लगनेवाले सारे टोल टैक्स कारों के लिए माफ कर दिए हैं. इसके अलावा लड़की बहिन य़ोजना का ऐलान हुआ है. वहीं ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर बढ़ाने की केंद्र से सिफारिश की गई है. ऐसी ही कई योजनाओं का ऐलान झारखंड से हुआ है. झारखंड में सरकार मुख्यमंत्री मंईयां योजना के तहत करीब 53 लाख महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह दे रही है. इसके जवाब में भाजपा गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपए प्रतिमाह देने का वादा कर रही है. अब झारखंड सरकार ने दिसंबर से हर महिला को प्रतिमाह 2500 रुपए देने का वादा किया है. हरियाणा में भी चुनाव से ठीक पहले सरकार ने ऐसे कई फैसले लिए थे. चुनाव लड़नेवाली कांग्रेस ने भी ऐसे कई ऐलान किए थे. अब ऐसे ही ऐलानों को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई है. इसे भी पढ़ें - झारखंड">https://lagatar.in/hc-directs-that-vc-registrar-of-all-universities-of-the-state-should-be-present-in-person-on-october-22/">झारखंडHC का निर्देश, सभी यूनिवर्सिटी के वीसी-रजिस्ट्रार 22 अक्टूबर को सशरीर हों उपस्थित [wpse_comments_template]