Garhwa : झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बरसात की शुरूआत के साथ ही विभिन्न प्रकार के पौधों का उदय होता है. इन पौधों में से कुछ पौधे ऐसे हैं जो आदिवासी बहुल क्षेत्रों में लोग अपने भोजन के रूप में व्यवहार किया करते हैं उन्हीं में से कुछ नाम चकवड, गदहपडरो तथा गनहारी का साग है. इसी साग को लोग सुबह से ही निकालने में लग जाते हैं. बरसात के दिनों का चकवड का साग ग्रामीण क्षेत्रों मे खूब पसंद किये जाते हैं. केना साग का भी लोग भोजन में व्यवहार किया जाता है. इस प्रकार के साग को छोटे-मोटे हाट बाजारों में भी आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा सकता है. प्राकृतिक रूप से इन क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए एक व्यवसाय के रूप में भी यह उपयोगी पौधा है जिसका प्रयोग आदिवासी क्षेत्र के लोग सदियों से करते आ रहे हैं. इसे भी पढ़ें- डबल">https://lagatar.in/double-murder-revealed-the-son-in-law-who-was-troubled-by-blackmail-had-committed-the-murder/">डबल
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