Sanjay Kumar Singh
ट्रेन नंबर 22837 हटिया से एर्णाकुलम के बीच चलती है. हटिया झारखंड की राजधानी रांची का एक रेलवे स्टेशन है और यहां से केरल के एर्णाकुलम जाने वाले ट्रेन का नाम हिन्दी के साथ वहां की भाषा मलयालम में भी लिखा ही जायेगा. वैसे भी, देश में सब ऐसे ही चलता रहा तो अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आनी है. भले ही वह अलग मुद्दा है, लेकिन अनुवाद के महत्व को तो रेखांकित करता ही है.
अनुवाद करने वाला अंग्रेजी में Hatia हटिया को हत्या पढ़ या समझ ही सकता है और ध्यान न दे, सतर्क न रहे तो मलयालम में उसे कोलापथकम लिखेगा, जिसका मतलब मर्डर यानी हत्या होता है. ऐसी गलतियों से बचने के तमाम तरीके हैं. सामान्य बुद्धि वाले और कृत्रिम बुद्धि वाले भी. पर दोनों को अनुवाद में माहिर होना सबसे जरूरी है. अगर ऐसी गलतियों से बचना चाहें तो अनुवाद की जांच जरूर करवाइये. पैसे बचाने हैं तो पूरे लेख का न करवायें, महंगे विज्ञापनों, नामों, नारों और स्लोगन का तो करवाये हीं.
हटिया एक्सप्रेस के हत्या एक्सप्रेस हो जाने से रेलवे का चाहे कुछ न बिगड़े, पर छोटा-मोटा धंधा बंद हो सकता है. विज्ञापन-प्रचार का मामला हो, पैसे बेकार जायेंगे. अवमानना का मामला बन सकता है, तमाम मुश्कलें आ सकती हैं. पुरानी खबर है, पर अंग्रेजी जानने वालों को शर्म आने की राजनीति से याद आया कि उन्हें तो कुर्सी मिलेगी, आपका जो जायेगा उससे सतर्क कर दूं.
मेडिकल, इंजीनियरिंग तो छोड़िये, हिन्दी की किताबों से हिन्दी की शिक्षाप्रद कहानियां तक हटवा देने वाली यह सरकार और व्यवस्था किताबों का कैसा अनुवाद करवायेगी आप जानते हैं. कांग्रेस के जमाने में अनुवाद की गलती राष्ट्रपति के भाषण में और बाद में यूपीएससी के सवाल में भी हो चुकी है. अभी भी किसी भी अनुवाद में गलतियां रहती ही हैं और उसमें मातृभाषा में पढ़ने की सलाह आपके और आपके बच्चों के भविष्य को हटिया भेजना नहीं, उसकी हत्या करना ही है.
डिस्क्लेमर : लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह टिप्पणी उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.