हजारीबाग में परिवार को समाज ने किया बहिष्कृत तो बेटियों ने मां की अर्थी को दिया कंधा

खम्भवा गांव की घटना

Hazaribagh: समाज जब परिवार को बहिष्कृत कर देता है तो मुश्किल बढ़ जाती है, लेकिन बेटियां हिम्मती हों तो कुछ भी मुश्किल नहीं होती है. ऐसी हिम्मती बेटियां हजारीबाग में देखने को मिलीं. बताया जाता है कि जिले के टाटीझरिया प्रखंड के खम्भवा गांव में 55 वर्षीय कुंती देवी की सोमवार की सुबह मौत हो गयी थी. शव को अंतिम संस्कार के लिए कंधे देने की जरूरत थी, लेकिन कोई ग्रामीण सामने नहीं आया. तब बेटियों ने ही कंधा दिया. दोपहर बाद महिला की आठों बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया. इसे भी पढ़ें-  हजारीबाग">https://lagatar.in/hazaribagh-medical-college-invites-corona-thousands-ppe-kits-have-been-thrown-in-open/68428/">हजारीबाग

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गांव का कोई व्यक्ति नहीं आया

बताया जाता है कि किसी वजह से गांव के लोगों ने इस परिवार को बहिष्कृत किया हुआ है. इस कारण गांव का कोई व्यक्ति मदद को आगे नहीं आया. यहां तक कि उसके अपने जाति-बिरादरी के लोग श्मशान घाट तक नहीं गए और न ही आंगन में देखने आये. तब उसकी आठों बेटियां, पति और कुछ रिश्तेदार अर्थी को घाट तक ले गए और अंतिम संस्कार किया.

मिलकर करेंगे अंतिम संस्कार

अर्थी उठाने वालों में से एक अजंती देवी ने कहा कि मेरे भाई नहीं हैं तो क्या हुआ, हम सभी बहनें ही काफी हैं. सभी मिलकर अंतिम संस्कार करेंगे. कंधा देनेवालों में अजंती, रेखा देवी, बाबुन कुमारी, केतकी कुमारी और भोली कुमारी शामिल थीं. बताया जाता है कि कुंती देवी चार वर्षों से बीमार थीं. उनकी आठ बेटियां ही हैं. इनमें से सात की शादी हो चुकी है एक की शादी बाकी है.

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