Akshay Kumar Jha
Ranchi: झारखंड में 14वें वित्त आयोग की राशि से हर पंचायत में स्ट्रीट लाइट और जलमीनार लगाने का काम हुआ है. जैसी शिकायतें मिल रही हैं, उससे साफ है कि पंचायतों में स्ट्रीट लाइट और जलमीनार लगाने में जमकर घोटाला किया गया है. काफी संख्या में शिकायतों के बाद विभाग हरकत में आया है. विभाग ने सभी जिलों के डीसी को जांच के लिए लिखा है. डीसी को भेजे पत्र में कहा गया है कि विभाग के पास गड़बड़ी की जैसी शिकायतें और सबूत भेजे जा रहे हैं, उससे लगता है कि इन कामों में अनियमितता और पैसों का बड़ा खेल हुआ है. उपायुक्तों से 15 दिनों में जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है.
जानें कैसे हुआ घोटाला
नियम के मुताबिक, प्रखंड स्तर पर 1.5 लाख से ऊपर के किसी भी काम के लिए टेंडर कराना है. लेकिन स्ट्रीट लाइट और जलमीनार लगाने में 1.5 लाख से ज्यादा का काम कई पार्ट में कोटेशन मंगाकर किया गया है. यह वित्तीय अनियमितता है. विभाग ने कहा है कि प्रखंड में जलमीनार लगाने में एक ही वेंडर से सामग्री खरीदी गयी है. जो वेंडर और योजना में संलिप्त कर्मी की मिलीभगत की ओर इशारा करती है. जलमीनार और पेवर ब्लॉक सड़क निर्माण में एकरारनामा लाभुक समिति से किया गया, जबकि काम वेंडर से लिया गया. ज्यादातर कामों में तय राशि से अधिक का भुगतान वेंडर को किया गया. साथ ही पेमेंट के लिए जीएसटी नंबर का दुरुपयोग भी किया गया है. कई मामले ऐसे हैं, जिनमें मस्टर रोल को अपडेट भी नहीं किया गया है. कनीय अभियंता और सहायक अभियंताओं ने मापी पुस्तक में भी गड़बड़ी की है. ऐसे भी साक्ष्य विभाग को उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
- स्ट्रीट लाइट लगाने का काम ईईएसएल कंपनी की तरफ से कराया जाना था. जबकि यह काम स्थानीय विक्रेता से कराया गया, जो कि नियम विरुद्ध है. ऐसा करने से सरकारी पैसों की जमकर बंदरबांट हुई है.
जानें क्या होगी कार्रवाई
- डेढ़ लाख रुपये से अधिक राशि का सामान अगर कोटेशन से खरीदा गया है तो मुखिया, पंचायत सचिव, वेंडर पर षड्यंत्र कर सरकारी राशि की हानि, वित्तीय अनियमितता और सरकार के आदेश की अवहेलना के लिए विभागीय कार्रवाई और आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जायेगा. टेंडर से बचने के लिए समान प्रकृति की खरीद को अनेक हिस्सों में बांटकर कोटेशन के माध्यम से खरीदा गया हो, तो भी इसी तरह की कार्यवाही की जायेगी.
- अगर लाभुक समिति की जगह सीधे वेंडर को भुगतान किया गया हो तो मुखिया, पंचायत सचिव, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, लाभुक समिति के अध्यक्ष, सचिव और वेंडर के विरुद्ध आपराधिक षडयंत्र और सरकारी राशि की हानि, वित्तीय अनियमितता और सरकार के आदेश की अवहेलना के लिए विभागीय कार्रवाई और आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
- यह कार्रवाई 15 दिनों के अंदर पूरी की जानी है. यदि अनियमितता ज्यादा हो, तो पूरे मामले की निगरानी जांच और विशेष ऑडिट का प्रस्ताव भेजा जायेगा.