HEC बंद! बकाये वेतन को लेकर अफसरों और मजदूरों ने कंपनी में की तालाबंदी

एक मंच पर आये सात श्रमिक संगठन, वेतन नहीं तब तक जारी रहेगा आंदोलन Amit Singh Ranchi :    हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) मुख्यालय के तीनों प्लांट में तालबंदी कर दी गयी है.  यह तालाबंदी बकाये वेतन की मांग को लेकर कंपनी के अफसरों और मजदूरों ने की है. सुबह छह बजे से ही मजदूर हेवी मशीन टूल्स प्लांट (एचएमटीपी), हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट (एचएमबीपी) और फाउंड्री फोर्ज प्लांट (एफएफपी) के मुख्य गेट पर जुटने लगे थे. वहीं करीब आठ बजे तीनों प्लांटों के मुख्य गेट के साथ-साथ निगम मुख्यालय मुख्य गेट में ताला जड़ दिया. मुख्यालय सहित तीनों प्लांट में आज से किसी के भी प्रवेश पर रोक लगा दिया गया है. इस तालाबंदी के बाद एचईसी एक प्रकार से बंद पड़ गया है. कर्मचारियों ने कंपनी में अनिश्चित काल के लिए तालाबंदी की है.

जबतक वेतन नहीं मिलेगा, तबतक जारी रहेगा आंदोलन 

एचईसी में कर्मचारियों का 18 माह और अफसरों का 20 माह से वेतन बकाया है. बकाया वेतन की मांग को लेकर अभी सात श्रमिक संगठन एक मंच पर आकर कंपनी में तालाबंदी की है. सातों श्रमिक संगठनों ने एचईसी बचाओ मजदूरजन संघर्ष समिति का गठन किया है. इसी समिति के बैनर तले तालाबंदी की गयी है. आज सभा की अध्यक्षता करते हुए मनोज पाठक ने कहा कि जबतक बकाया वेतन का भुगतान नहीं होता, तबतक यह तालाबंदी जारी रहेगी. मुख्यालय के समक्ष रोजाना मजदूरों के खिचडी बनेगा. मजदूर वहीं खायेंगे, वहीं रहेंगे. किसी को मुख्यालय और प्लांट के अंदर अब जाने नहीं दिया जायेगा.

एक मंच पर आये सभी श्रमिक संगठन

एचईसी में अभी करीब 1100 स्थायी और 1500 अस्थायी कर्मचारी हैं. जिनकों किसी भी तरह का भुगतान अब कंपनी प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ अस्थायी मजदूरों का एग्रिमेंट भी अधर पर लटका हुआ है. प्रबंधन द्वारा स्पष्ट पक्ष नहीं रखने की वजह से श्रमिक संगठनों ने एक मंच पर आकर आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन में बीएमएस के समर्थक बाहर से समर्थन कर रहे हैं. अभी एक मंच पर हटिया मजदूर कामगार यूनियन, हटिया मजदूर यूनियन, हटिया लोक मंच, एचईसी श्रमिक संघर्ष यूनियन, हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन और एचईसी ऑफिसर्स एसोसिएशन शामिल हैं.

जानें क्या कहना है श्रमिक संगठनों का

श्रमिक संगठनों का कहना है कि अब मजदूरों के समक्ष भूखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है, ऐसे में अब आरपार की लड़ाई से ही निर्णय निकलेगा. मजदूरों ने बहुत संयम का परिचय दिया. 22 माह से बिना वेतन के कार्यस्थल पर कामगर आ रहे हैं. रोजाना उपस्थिति बनाकर शांतिपूर्वक रहते थे. प्रबंधन के आला अफसरों से कई दौर की वार्ता हुई. मगर आला अफसरों के पास कोई रास्ता नहीं है. वे झूठा आश्वासन देते आ रहे हैं. भारी उद्योग मंत्रालय भी एचईसी को लेकर गंभीर नहीं है. मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कंपनी को किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग नहीं मिलेगा. अपने संसाधन से ही कंपनी को संचालित होना है. वर्तमान में कंपनी के पास करोड़ों का वर्क ऑडर है. मजदूर काम करके वेतन लेना चाहते हैं. मगर कार्यशील पूंजी नहीं होने की वजह से उत्पादन ठप हो गया. ऐसे में मजदूर क्या करें. श्रमिक संगठनों का कहना है कि कंपनी में कार्यरत एक-एक कर्मचारी कंपनी को बचाने के लिए शांतिपूर्वक अबतक बिना वेतन के काम कर रहे थे. मगर अब कर्मचारियों के पास आवाज बुलंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. इसलिए सभी ने तालाबंदी कर आंदोलन शुरू किया.

अभी भी पीएम मोदी से है श्रमिकों को उम्मीद

एशिया का सबसे बड़ा भारी उद्योग एचईसी. वर्तमान में संकट के दौर से गुजर रहा है. कंपनी में उत्पादन पूर्णत: ठप हो गया है. इसरो, रक्षा, कोल सेक्टर, रेलवे, माइनिंग आदि सेक्टरों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बनाने वाली कंपनी बंदी के कगार पर पहुंच गयी है. एचईसी प्रबंधन और कर्मचारियों को अभी भी उम्मीद है कि भारी उद्योग मंत्रालय से आर्थिक सहयोग मिलेगा. उसके बाद कंपनी में उत्पादन शुरू हो सकेगा. श्रमिकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एचईसी जैसे मदर इंडस्ट्री, जिसे कारखानों का मंदिर भी कहा जाता है, उसे बंद नहीं होने देंगे. जिस प्रकार देश का वैभव विश्व पटल पर लौटा है, वैसे ही एचईसी का भी समय पीएम मोदी के सहयोग से लौटेगा.

लगातार घाटे में चल रही है कंपनी

भारी उद्योग मंत्रालय के अनुसार, एचईसी लगातार घाटे में चल रही है. पिछले पांच साल में एचईसी के टर्नओवर में लगातार गिरावट आयी है. वर्ष 2018-19 में 356.11 करोड़, वर्ष 2019-20 में 132.68 करोड़, वर्ष 2020-21 में 202.76 करोड़, वर्ष 2021-22 में 184.69 करोड़ और वर्ष 2022-23 में 87.52 करोड़ का टर्नओवर रहा है. वर्तमान में एचईसी का घटा 300 करोड़ तक पहुंच गया है. मंत्रालय की नजर में एचईसी के कारोबार में लगातार कमी और घाटे के कारण इसकी देनदारियां बढ़ी हैं. कंपनी पर 2000 करोड से ज्यादा की देनदारी है, जिसमें बढोत्तरी हो रही है. [wpse_comments_template]