Ranchi :सदर अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की शुरुआत में हो रही देरी पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगले 10 दिनों में अगर काम पूरा नहीं हुआ तो अदालत कड़ी कार्रवाई करेगा. हाईकोर्ट ने सदर अस्पताल का काम कर रही कम्पनी विजेता कंस्ट्रक्शन से पूछा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन बेड के स्टोरेज टैंक की व्यवस्था कितने दिनों में होगी. यह कल यानी 1 दिन में बताये कम्पनी. इसके साथ ही अदालत ने SAIL बोकारो और केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया है. निर्देश देते हुए कहा कि ऑक्सीजन बेड के स्टोरेज टैंक की वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार करे या फिर भाड़े पर भी इसकी व्यवस्था की जाये. सुनवाई के दौरान कम्पनी की तरफ से अदालत को बताया गया कि काम पूरा करने में लगभग 30 दिनों का वक़्त लगेगा. इस जवाब पर अदालत ने असंतुष्टि जाहिर की.राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा. इस मामले की सुनवाई गुरूवार को फिर होगी.
5 मई तक सुविधा उपलब्ध करा कोर्ट को करें सूचित
3 अप्रैल को सदर अस्पताल रांची में अब तक ऑक्सीजन बेड की सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जताई थी. कोर्ट ने विजेता कंस्ट्रक्शन को 2 दिनों के अंदर बचे हुए कार्य को पूरा कर अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने विजेता कंस्ट्रक्शन को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले उपकरण 5 मई तक उपलब्ध करा कर कोर्ट को सूचित करने का सख्त निर्देश दिया था.
अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा थी कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौर में कंपनी का बर्ताव संजीदगी दिखाने वाला नहीं है. इस आदेश की अवहेलना हुई तो अदालत कड़े कदम उठाएगा.
सदर अस्पताल में 300 बेड चालू नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी
बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड चालू नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी. अदालत ने 3 अप्रैल से पहले हुई सुनवाइयों के दौरान कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते कोरोना काल में यहां के लोग 300 बेड से वंचित रहे. अधिकारियों को झारखंड के गरीब लोगों के जीवन से खेलने की इजाजत कोर्ट नहीं दे सकता है.
मुकर जाने के सौ बहाने होते हैं. अधिकारी काम नहीं करना चाहते हैं
अदालत ने कहा था कि मुकर जाने के सौ बहाने होते हैं. अधिकारी काम नहीं करना चाहते हैं. प्रार्थी ज्योति शर्मा की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही अदालत ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उनके पास पर्याप्त बेड, पैरामेडिकल स्टॉफ, डॉक्टर सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं.