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महापर्व होली, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है - संत
इस अवसर पर संत श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि हिंदुओं का महापर्व होली अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति पश्चिमी सभ्यता की ओर जा रही है और आज के हमारे बच्चे विदेशी रहन-सहन की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इस समय हमें बच्चों के बीच देशभक्ति की भावना को जागृत करना चाहिए. स्वामी जी ने भक्तों को धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. भारतीय संस्कृति में होली का विशेष स्थान है, जो प्रेम, भाईचारे और खुशी का संदेश देती है. होली मिलन समारोह में भक्तों ने प्रेम और समर्पण की भावना के साथ होली खेली. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण और राधा के भक्तिमय जीवन के पवित्र संदेशों को श्रद्धालुओं के बीच साझा किया गया. स्वामी जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि होली सिर्फ रंगों का खेल नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के समर्पण, प्रेम और पवित्रता को उजागर करने का अवसर है. उन्होंने भक्तों से आह्वान किया कि वे होली के रंगों के माध्यम से अपनी आत्मा को भी रंगीन बनाएं, ताकि हम अपने जीवन को भक्ति और सेवा से भरपूर कर सकें. सभी को अपने भीतर के गुस्से, द्वेष और नफरत को समाप्त करके प्रेम और एकता का भाव अपनाना चाहिए. मौके पर मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ, ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष निर्मल जालान, राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, सचिव मनोज कुमार चौधरी, विजय अग्रवाल, नवल अग्रवाल, सज्जन पाड़िया, पूरणमल सर्राफ, चिरंजीवी लाल खंडेलवाल, संजय सर्राफ, विशाल जालान, पवन कुमार पोद्दार, नंदकिशोर चौधरी, सुरेश अग्रवाल, सुरेश भगत, विष्णु सोनी, मनीष सोनी, अरविंद अग्रवाल, निर्मल छावनिका, शिव भगवान अग्रवाल, शास्त्री रविकांत राय, विद्या देवी अग्रवाल, मनीष समेत अन्य लोग उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें -बजट">https://lagatar.in/mustard-is-thrown-to-drive-the-ghost-away-but-what-will-be-the-situation-if-the-ghost-is-in-the-mustard-itself/">बजटसत्रः भूत भगाने के लिए सरसों फेंका जाता है, लेकिन सरसों में ही भूत होगा तो परिस्थिति क्या होगीः कल्पना