अरबों रुपये का अस्पताल भवन बनकर तैयार, सीएम के निर्देश के बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं करा सका चालू

प्रदेश में मेडिकल सिस्टम फेल, भगवान भरोसे सरकारी अस्पताल में चल रहा इलाज, आसपास के जिलों से रांची पहुंच रहे मरीज

Amit Singh

Ranchi : झारखंड में स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम फेल है. प्रदेशभर में अरबों के अस्पताल भवन बनकर बेकार पडे हुए हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद भी स्वास्थ्य विभाग एक भी भवन में अस्पताल चालू नहीं करवा सका. वर्तमान में हर जिले में अस्पताल भवन होते हुए, कोविड सेंटर बनाने के लिए सरकारी सिस्टम को परेशान होना पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने कोविड महामारी को देखते हुए भविष्य की योजना नहीं बनाई थी. कोरोना के बढते संक्रमण के दौरान यह साबित हो गया.

राजधानी ही नहीं, प्रदेशभर में इजाल के लिए पर्याप्त बेड नहीं हैं. ऑक्सीजन नहीं मिलने से लोगों की जान जा रही है. सरकारी अस्पतालों में मैन पावर की भारी कमी है. रिम्स में मरीजों से इलाज के नाम पर पैसे की वसूली की जा रही है. इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपनी पीठ थपथपा नहीं थक रहे हैं. प्रदेश में संक्रमित मरीजों को बेहतर इजाल मुहैया कराने का दावा कर रहे हैं. जल्द ही अस्पतालों में सुविधा बहाल होगी आश्वासन दे रहे हैं.

कोविड को देखते हुए सीएम ने 21 जनवरी को दिया था निर्देश, स्वास्थ्य विभाग नहीं हुआ गंभीर

कोरोना के दूसरी लहर को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 21 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की थी. जिसमें मुख्यमंत्री ने भविष्य को देखते हुए प्रदेशभर में बनकर तैयार अस्पताल भवनों के इस्तमाल का निर्देश दिया था. नए भवन बनाने में पैसे खर्च मत करें. जो भवन पहले से बनकर तैयार है, उनका उपयोग करें. जिला, प्रखंड, अनुमंडलों में तैयार या निर्माणाधीन भवनों का उपयोग करें, वैसे अस्पताल भवनों को आधुनिक सुविधाओं से लैंस करें. जितने मानव संसाधन की आवश्यकता है, उसका प्रस्ताव तुरंत विभाग को दें, ताकि कमी पूरा की जा सके. समीक्षा बैठक के चार माह गुजर जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग एक भवन में अस्पताल संचालित नहीं करा सका. 

प्रदेशभर में 200 करोड़ से ज्यादा के अस्पताल भवन बनकर तैयार

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेवारों ने चिकित्सा सुविधा बढ़ाने के बजाए हर जिले में नए—नए अस्पताल भवन बनवाए. निर्माण पर राशि खर्च कर ठेकेदारों से कमिश्न की वसूली की. अस्पताल भवन ठेकेदार द्वारा हैंडओवर करने के बाद भी उसे चालू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहल तक शुरू नहीं की. विभाग की इस लापरवाही की वजह से वर्तमान में करीब 200 करोड़ की लागत से तैयार अस्पताल भवन जर्जर हो रहे हैं. गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, गोड्डा, लातेहार, खूंटी व गिरिडीह सहित कई जिलों में अस्पताल भवन बनकर उद्घाटन की राह देख रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग इस महामारी में ऐसे भवनों को इस्तेमाल में लाने के बजाए, स्वास्थ्य सुविधा बढाने की कार्रवाई कर खानापूर्ति कर रहा है.

प्रदेश में कहां-कहां जर्जर हो रहे है अस्पताल भवन

गिरिडीह : बगोदर प्रखंड के औंरा में दो करोड़ की लागत से दो मंजिलें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन बन कर तैयार है. निर्माण कार्य 2 साल पूर्व ही पूरा हो गया था. अब तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ और न ही इजाल शुरू हुआ.

हजारीबाग : दारू में 3 करोड़ 86 लाख की लागत से बना हुआ हरली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने उद्घाटन को लेकर पिछले 10 सालों से इंतजार कर रहा है. अस्पताल भवन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है और भवन के शीशे दरवाजे टूट गए हैं.

गोड्डा : गोड्डा जिले के तीन प्रखंड गोड्डा, पथरगामा और मेहरमा में तीन सिक्स बेडेड हॉस्पिटल भवन बनाये गए. इनमें प्रत्येक भवन की लागत करोड़ो में है. इन भवनों का ये हाल है कि यहां न कोई चिकित्सक पदस्थापित है और न ही कोई सुविधा.

लातेहार : बरवाडीह में तीन अस्पताल भवन बनाये गए हैं. उसमें डॉक्टरों की पदस्थापना कर मरीजों को इलाज मुहैया अभी तक नहीं कराया जा सका है. बिना रोगियों को इलाज उपलब्ध कराए अस्पताल भवन जर्जर होने लगे हैं.

गुमला जिले में सबसे ज्यादा अस्पताल भवन हो रहे जर्जर

- डुमरी प्रखंड के आकासी गांव में 2017 में 40 लाख रुपये की लागत से और दीना गांव में 2013 में 22.50 लाख से भवन बन कर तैयार है, लेकिन आज तक बेकार पड़ा है.

- सिसई प्रखंड के पंडरानी में 2019 में 2 करोड़, पुसो में 2018 में 3 करोड़, लोहंजारा गांव में 2013 में 22 लाख और गम्हरिया में 2018 में 22 लाख रुपये से बना भवन बेकार है.

- भरनो प्रखंड के रायकेरा गांव में 2011 में 30 लाख रुपये से बना भवन बेकार पड़ा है. अस्पताल को हैंड ओवर नहीं किया गया है.

- पालकोट प्रखंड के टुकूटोली गांव में 2015 में 1.50 करोड़ रुपये से बना भवन बेकार पड़ा है. अब खंडहर हो रहा है.

- घाघरा प्रखंड के पुटो में 2009 में 60 लाख रुपये और बेलागढ़ा गांव में 2016 में 40 लाख रुपये से बना भवन बेकार पड़ा हुआ है.

- बसिया प्रखंड के कुम्हारी सूरजपुर मोड़ के समीप 2018 में 3 करोड़ और कुम्हारी खास में 2012 में 15 लाख से बना भवन बेकार है.

- नागफेनी गांव में वर्ष 2011 में 61 लाख 17 हजार रुपये की लागत से बना भवन बेकार पड़ा है. अब यह खंडहर हो गया है.

- अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में वर्ष 2011 में 5 करोड़ रुपये की लागत से भवन बनना शुरू हुआ था. अधूरा काम कर छोड़ दिया गया.

- रायडीह प्रखंड के कोंडरा में 3 करोड़, परसा में 25 लाख, टुडूरमा में 25 लाख, लौकी में 25 लाख, जरजटटा में 25 लाख और ऊपरखटंगा में 25 लाख रुपये से बना भवन बेकार है.