मंत्रालय की रिपोर्ट : लद्दाख में चीन को भारतीय सैनिकों ने करारा जवाब दिया
प्रणब दा ने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी
प्रणब दा ने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी. रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक मंगलवार को बाजार में आ गयी है. किताब में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी तभी का जिक्र है. प्रणब मुखर्जी के अनुसार इन सभी ने सदन के पटल पर अपनी उपस्थिति का अहसास कराया. उनके अनुसार अपना दूसरा कार्यकाल संभाल रहे प्रधानमंत्री मोदी को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा ले कर संसद में उपस्थिति बढ़ानी जाहिए. और एक नजर आने वाला नेतृत्व देना चाहिए, वैसी परिस्थितियों से मोदी को बचना चाहिए, जो हमने उनके पहले कार्यकाल में संसदीय संकट के रूप में देखा था. इसे भी पढ़े : संसद">https://lagatar.in/budget-session-of-parliament-from-29-january-general-budget-on-1-february/15545/">संसदका बजट सत्र 29 जनवरी से, आम बजट एक फरवरी को
मोदी को असहमति की आवाज भी सुननी चाहिए
मुखर्जी ने कहा कि मोदी को असहमति की आवाज भी सुननी चाहिए और संसद में अक्सर बोलना चाहिए. विपक्ष को समझाने और देश को उसके बारे में अवगत कराने के लिए उन्हें इसका एक मंच के रूप में उपयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान वह विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ-साथ संप्रग के भी वरिष्ठ नेताओं के साथ लगातार संपर्क में रहते थे और जटिल मुद्दों का समाधान निकालते थे. उन्होंने कहा, ‘मेरा काम सुचारू रूप से संसद चलाना था चाहे इसके लिए मुझे बैठकें करना हो या विपक्षी गठबंधन के नेताओं को समझाना हो. जब भी कभी जटिल मुद्दे सामने आये उसे सुलझाने के लिए मैं हर समय संसद में उपस्थित रहता था. बता दें कि मुखर्जी ने इस पुस्तक में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान संसद को सुचारू से चलाने में विफलता को लेकर राजग सरकार की आलोचना की है. इसे भी पढ़े : ब्रिटिश">https://lagatar.in/british-prime-minister-boris-johnson-not-coming-to-india-on-republic-day-corona-virus-became-the-reason/15511/">ब्रिटिशपीएम बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस पर भारत नहीं आ रहे, कोरोना वायरस बना कारण