समुद्र में ही दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट कर सकेगी भारतीय नौसेना

New Delhi : भारतीय नौसेना अब और ताकतवर हो गई है. नौसेना अब बैलिस्टिक मिसाइल के खतरे से भी निपट सकती है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने 21 अप्रैल को बंगाल की खाड़ी में ओड़िशा के तट से समुद्र-आधारित ‘एंडो-वायुमंडलीय इंटरसेप्टर मिसाइल’ का पहला सफल परीक्षण किया है. इस परीक्षण का उद्देश्य एक शत्रुतापूर्ण बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को पहचानना और उसे बेअसर करना है. इस मिसाइल की मदद से अब भारतीय सेना दुश्मन की मिसाइलों को समुद्र में ही नष्ट कर सकेगी. भारत के अलावा इस तरह की मिसाइल दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका, पड़ोसी देश चीन, रूस और इजारयल के पास है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया. मंत्रालय ने कहा, परीक्षण का मकसद एक दुश्मन बैलिस्टिक मिसाइल के खतरे को भांपना और उसे बेअसर करना था, ताकि भारत को बीएमडी नौसेनिक क्षमता वाले देशों के कुलीन क्लब में शामिल किया जा सके. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पोत आधारित बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) क्षमताओं के सफल परीक्षण में शामिल डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और अन्य इकाइयों को बधाई दी है.

हासिल की आत्मनिर्भरता

बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर के परीक्षण के बाद डीआरडीओ के चीफ समीर वी कामत ने मिसाइल के डिजाइन और इसे बनाने में शामिल टीमों की तारीफ की. समीर वी कामत ने कहा कि भारत ने बेहद जटिल नेटवर्क-केंद्रित एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को विकसित करने में आत्मनिर्भरता हासिल की है.
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