मुंबई और सूरत के 3200 प्रवासियों की भीड़ से जांच प्रक्रिया बाधित, गाइडलाइन की उड़ीं धज्जियां

  • मुंबई से आए 1700 से अधिक यात्री, हटिया स्टेशन में जांच के लिए संसाधन भी अपर्याप्त

Ranchi :  कोरोना संक्रमण के इस दौर में हटिया स्टेशन में शुक्रवार को यात्रियों से भरी दो ट्रेन हटिया स्टेशन आयी. सूरत और मुंबई से आईं दोनों ट्रेन में तकरीबन 3,200 यात्री हटिया स्टेशन पर उतरे. स्टेशन पर इतने यात्रियों के उतरने से प्रशासन और रेलवे की सारी व्यवस्था चरमरा गई. कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ीं. यात्रियों में संक्रमण की जांच में भी अराजकता रही और पॉजिटिव यात्री भी बाहर निकल गए. हटिय़ा स्टेशन में मुंबई की ट्रेन 3.15 बजे हटिया आयी, जबकि सूरत से स्पेशल ट्रेन दो घंटे बाद पहुंची थी.

जांच की हुई सिर्फ औपचारिकता

व्य़वस्था और संसाधन के लिहाज के अधिक संख्या में होने के कारण जांच की औपचारिकता ही पूरी की गई. इसके कारण कई यात्रियों की कोरोना जांच भी सही तरीके से नहीं हुई और वह निकल गए. सामाजिक दूरी के बगैर ही कतारबद्ध प्रवासियों की कोरोना संक्रमण की जांच की गई. इसमें कई यात्री कोरोना पॉजिटिव भी हो रहे है. इन संक्रमितों को स्टेशन से ले जाने के रांची नगर निगम की बसों का इंतजाम किया गया.

अकेले मुंबई के लोकमान्य तिलक से ही 1,700 से अधिक रेल प्रवासी यहां पहुंचे हैं. स्टेशन पर क्रमवार कोचों से उतरने के दौरान यात्रियों की भीड़ से प्रशासन भी इसे व्यवस्थित नहीं कर सकी. कतारबद्ध यात्री एक-दूसरे के पीछे सटकर खड़े रहे. स्टेशन में जिला प्रशासन की ओर से यात्रियों की जांच के लिए चार बूथ लगाए गए थे, लेकिन इतने यात्रियो की जांच में अफरा-तफरी रही. आम तौर पर एक मरीज की जांच के लिए सैंपल लेने में पांच मिनट लगते हैं. लेकिन इतने मरीजों के लिए केवल चार बूथ के इंतजाम से यहां अव्यवस्था के कारण जांच भी तरीके से नहीं हुई. इसके कारण जांच के बाद पॉजिटिव आए मरीज भी बाहर निकल जा रहे हैं.

स्टेशन पर कतार में खडा एक यात्री परवेज ने बताया कि मुंबई में होटल, रेस्टोरेंट और अन्य संस्थाएं तेजी से बंद हो रहे हैं. कामगारों से मालिक वापस लौटने को कह रहे हैं. इसलिए अब अपने घर लौटने के अलावा कोई चारा ही नहीं रहा.

यात्रियों ने सुनायी परेशानी

मुंबई से आए मो परवेज ने कहा, कहीं कोई जांच नहीं हो रही. मुंबई से आया हूं. वहां एक सिलाई कंपनी में काम करता था. वह बंद हो गया है. पैसे की कमी हो गई थी. इसलिए लौट आया हूं. वहीं पारसनाथ के विश्वनाथ यादव ने बताया, एक शादी समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई से आया हूं. एक महीने पहले ही कोरोना की जांच करायी थी. वहां टैक्सी ड्राइवर का काम करता हूं. पारसनाथ जाना है.

मधुपुर के रहने वाले तजमुल अंसारी ने कहा, एक सिलाई करने वाली छोटी कंपनी में काम करता हूं. मालिक ने पैसा देना बंद कर दिया था. यहां लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वहीं खलारी के संजय कुमार तिवारी ने बताया कि वह महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिला शास्त्री प्रोजेक्ट डब्ल्यूएल में काम करता था. एक सप्ताह पहले कोरोना जांच करायी थी. यह प्रोजेक्ट समाप्त हो गया है, इसलिए आना पड़ा.