Girish Malviya
62 वर्षीय डॉ केके अग्रवाल की मौत के बाद यह बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि आज से करीब एक-डेढ़ महीने पहले तक, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई थी, तब तक भी यही माना जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद कमसे कम वेंटिलेटर पर जाने की या जान जाने की नौबत नहीं आएगी.
दो डोज लगने के बाद कोविड से हुई मृत्यु का यह इकलौता केस नही है. दिल्ली एनसीआर में चार डॉक्टर्स की कोविड से मौत होचुकी है. और वे सभी वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे.
alt="" class="wp-image-66417"/>
दिल्ली के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टर रावत ने वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली थी. डॉ. रावत को अपने ठीक होनेका पूरा यकीन था. उनका इलाज करने वाले डॉ. आकाश जैन ने कहा कि जब उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जा रहा था, तो उन्होंने मुझसेकहा था कि `मैं ठीक हो जाऊंगा क्योंकि मेरा टीकाकरण हो चुका है. पर उनकी भी मृत्यु हो गई."
छत्तीसगढ़ कोविड-19 नियंत्रण अभियान के प्रदेश नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष पांडेय की कोरोना संक्रमण से मौत हुई. उन्होंने भीदोनों डोज ले लिए थे.
इसके अलावा कर्नाटक के मंगलुरू मे पुलिस कांस्टेबल की ओर ग्वालियर के कम्पू थाने में तैनात कांस्टेबल की भी डेथ कोरोना सेदोनो डोज के बाद हुई है.
यह वो घटनाए जो पब्लिक डोमेन में है. लेकिन कई ऐसे फ्रंट लाइन वर्कर है, जिनकी मौत कोरोना के दोनों डोज लगने के बाद होचुकी है.
alt="" class="wp-image-66418"/>
वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह की मृत्यु भी कोरोना से हुई थी वे भी दोनों डोज ले चुके थे.
वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमण होना रेयर है, लेकिन संभव है. ऐसे मामले को ब्रेकथ्रू (Breakthrough) केसेज कहते हैं. ऐसे केसेज देश में 10 हजार में दो या चार मिले हैं. ये आंकड़ा आईसीएमआर (ICMR) द्वारा पेश किया गया है.
जब संक्रमण होना रेयर घटना है तो मौत होना तो रेयरेस्ट होना चाहिए ! पर ऐसा भी नही है ?
आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का भी बयान आया है कि दूसरी लहर में कोविड के कारण 270 डॉक्टरों की जान चली गई है. इनमें से केवल 3 फीसदी डॉक्टरों को ही पूरी तरह से टीका लगाया गया था. यानी दोनो डोज लगे थे. ( वैसे यह भी बड़े आश्चर्य कीबात है कि 97 प्रतिशत डॉक्टर ने दूसरी डोज नही ली ) यानी फिर भी तकरीबन 8 डॉक्टर की मृत्यु दोनो डोज होने की बात खुद IMA स्वीकार कर रहा है. यह बड़ी संख्या है. एक ओर बात है जो IMA नही बता रहा है कि इनमें से कितने डॉक्टरों ने पहली डोज लगवाईहोगी.
जहां तक हम सोचते हैं कि 270 में से लगभग 70 प्रतिशत डॉक्टर ने एक डोज तो लगवाई ही होगी. किंतु वे नही बचे ?
कोरोना की दूसरी लहर में अकेले यूपी में 48 पुलिस कर्मियों की जान भी जा चुकी है. इसमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी ऐसे हैं जोपंचायत चुनाव की ड्यूटी कर रहे थे. सबसे अहम और हैरान करने वाली बात ये है कि जिन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है, उसमें सेअधिकतर ने वैक्सीन की पहली या दोनों डोज ले ली थी. जबकि यह कहा जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीनकी एक डोज़ से भी मौत का खतरा 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है !
( यह लेख केवल वस्तुस्थिति को ठीक से समझने के उद्देश्य से लिखा गया है, जो भी विवरण दिए गए हैं वह विभिन्न न्यूज़ वेबसाइटसे लिए गए हैं.)
[wpse_comments_template]