इजराइल-फिलिस्तीन झगड़े को ऐसे भी समझें

Hasan Jamal Zaidi
अमेरिका ने अपने F18 फाइटर जेट इजरायल की सुरक्षा के लिए सऊदी अरब की मिलिट्री बेस पर तैनात कर दिए हैं. मतलब, अगर कोई दूसरे देश की आर्मी फीलिस्तीनियों की सपोर्ट में आती है. या जंग जैसी कोई सूरत बनती है, तो ये उस पर एयर स्ट्राइक कर देंगे. सोचिए कितने भरोसे की जगह चुनी है उन्होंने ?

दूसरी तरफ 41 अमेरिकी सांसदों ने अपनी सरकार को एक लेटर लिखा है. इसमें कहा गया है कि “हमास” की सपोर्ट ईरान कर रहा है. यही इन्हें हथियार पहुंचा रहा है. मिश्र के रास्ते और समुद्र के रास्ते से ये बात हथियारों की रेंज और मारक क्षमता से पता चलती है. “हमास” ने ड्रोन अटैक भी किए हैं. और ये ईरानी तकनीक पर बने ड्रोन है. “हमास” का बैकअप पूरी तरह से ईरान कर रहा है. इसलिए इस पर प्रतिबंध नहीं हटाए जाने चाहिए और अमेरिका को ईरान पर सीधे एक्शन लेकर कार्यवाही करनी चाहिए.
ये 41 अमेरिकी सांसद क्यों ऐसा लिख रहे हैं? और इजरायल का क्यों इतना सपोर्ट है ?आइए इसे समझते हैं. अमेरिका में ज्यूस मतलब यहूदियों की दो बड़ी ऑर्गेनाइजेशन वहां यही काम करती है. जितने भी सासंद इन्हें सीनेटर कहिए या कुछ और. इन सभी से चुनाव के समय ये संस्थाएं पर्सनली और पार्टी बेस पर भी मुलाकात करती हैं. और इनमें से ज्यादातर को या जिसे अपने लिए ठीक समझती है. उसे 30% तक फंडिंग करती है. AIAPCI जैसा कुछ नाम हैं इस संस्था का. अमेरिका इजरायल एसोसिएशन जैसा कुछ.

दूसरी इजरायल क्रिश्चियन ओर्गेनाइजेशन हैं. इसके अलावा भी एक दर्जन से ज्यादा और इनकी संस्थाएं हैं. जो अमेरिका के पेंटागन से लेकर हर बड़े डिपार्टमेंट में दखल रखती हैं. बहुत बड़ी कंपनियां हैं. इनकी फाइनेंस सिस्टम तो इन्हीं का है. मतलब अमेरिका पर एक तरह से यही काबिज है. उनके स्टेब्लिशमेंट में और महत्वपूर्ण पदों पर जो दूसरे लोग हैं, वो भी इनके असर वाले बैठे हैं.
तो ये बातें फिजूल है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जे बाईडन इजरायल से नाराज़ हैं. वो नेतन्याहू से नाराज़ हो सकते हैं, लेकिन इजरायल से नहीं. ऐसा कुछ नहीं है.

OIC ने UNO की आपात बैठक बुलाने को कहा. अमेरिका ने उसे रुकवा दिया. जिससे इजरायल पर अनावश्यक प्रेशर न आए. अब कोई भी देश अगर फिलिस्तीन के लिए आता है, तो ये मन बनाकर आये कि सीधा अमेरिका से जंग होनी है. इसलिए एर्दोगान भी अपनी कोशिशें कर रहे हैं. ईरान भी और दूसरे कुछ देश भी. यहां सऊदी अरब या UNI के साथ आने का मतलब ही नहीं बनता. ये बात जितनी जल्दी समझ लें उतना बेहतर है.‌ बाकी किसी को लगता हो तो वो इनके पीछे ओवर टाइम करता रहे.
“हमास” अकेला कन्वेंशनल वार इजरायल से नहीं लड़ सकता. मतलब लड़ तो रहा है, लेकिन ये उसके लिए आत्मघाती है. “गाज़ा” बहुत छोटा एरिया है. मेरीटेरियन सी के कोस्टल पर है. समुद्र में इजरायली नेवल घेरा डाले हैं और सामने जमीन से 10 गुना इंफेंट्री और हैवी आर्टेलरी साथ में एयर स्ट्राइक तो कितने दिन लड़ सकता है “हमास” ?

जितना टाइम बीतेगा “हमास” कमजोर पड़ना शुरु हो जायेगा. वो सप्लाई लाइन काटेंगे ये तो होता ही है. “गाज़ा” का मैप देखिये. फिर “हमास” का अंडरग्राउंड टनल का मैप है. जहां ये अपने रॉकेट तैयार करते हैं. इस पर भी दो रात से बमबारी हो रही है. लेकिन “हमास” अभी भी रॉकेट मार रहा है. इसका मतलब वो इतना नुक्सान नहीं कर पाए.
जंग के अपने तरीके होते हैं. कुछ तैयारी दुश्मन की ताकत और कमजोरी दोनों पर अनुसार रणनीति तैयार करनी होती है. फौज से आम पब्लिक नहीं लड़ सकती. उससे तो फौज ही निबट सकती है. सारे काम दुआओं से नहीं चलते. अगर ऐसा होता तो फिलिस्तीनी पिछले 70 सालों से न पिट रहे होते.

और ये जो कहते हैं कि हम खुदा के चुने हुए बंदे हैं. उसने हमें दुनिया चलाने को भेजा है. हमारे अलावा बाकी सब सिंपली ह्यूमेन है.‌ इन सूतियों से कोई पूछे कि जब जर्मनी में हिटलर तुम्हें गैस चेंबरों में लिटा-लिटा कर मार रहा था. तब तुम खुदा के चुने हुए बंदे नहीं थे ?
मेरे आकलन से यहां “हमास” और फिलिस्तीनियों को किसी प्रोफेशनल आर्मी और वालेंटियर फोर्स की ज़रुरत होगी. उन्हें उन्नत ड्रोन की ज़रुरत होगी. आर्टेलरी चाहिए होगी. अगर उन्हें फाइनल रिजल्ट चाहिए तो अब फर्ज करिए यहां ईरान या टर्की आ जाते हैं, तो उनकी इजरायल के साथ अमेरिका से भी झड़प होगी. फिर वो अमेरिकी बेस को निशाना बनाएंगे जो अरब और UAE में है या समुद्र में है. इन्हें उड़ाना कोई बड़ी बात नहीं है. सच में अमेरिका को भागना पड़ जायेगा.

लेकिन पिटता अमेरिका और पिटता इजरायल क्या करेगा ? बात महाविनाश तक आ आयेगी. यहां इन्हें रुस या चीन जैसी एटोमिक पावर चाहिए होगी. अगर पहला अटैक इजरायल कर दे तो सेकेंड अटैक में उसे खत्म करना होगा. सेकेंड अटेंप की तैयारी भी बहुत से देशों ने कर रखी है. वो जमीन और पानी के नीचे से भी है और ऊपर से भी.
लेकिन बहुत बड़ी तबाही होगी, और सबकी होगी. जब तक इन्हें ये नहीं समझाया जायेगा कि अगर तुमने कुछ ऐसा सोचा तो हम भी तुम्हारा समूल नष्ट कर देंगे. तब तक ये बदमाशी से बाज नहीं आयेंगे. तभी पंच बैठेंगे के सुनो बे ये दुनिया खत्म हो जायेगी मान जाओ. तब बात दोनो की समझ में आयेगी ओर कोई बीच का रास्ता निकलेगा.

डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.