जमात-ए-इस्लामी ने कहा, आपात स्थिति में हराम तत्व से बनी वैक्सीन ली जा सकती है

 NewDelhi  :  कोरोना वैक्सीन को लेकर जमात-ए-इस्लामी (हिंद) ने स्पष्ट किया है कि हलाल तत्वों वाली वैक्सीन   उपलब्ध नहीं होने पर इंसानी जिंदगियां बचाने के लिए आपात स्थिति में हराम तत्व से बनी वैक्सीन ली जा सकती है. बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते केस के बीच   कुछ इस्लामिक संगठनों और मुस्लिम विद्वानों द्वारा दावा किया जा रहा है कि कोविड की वैक्सीन में इस्लाम में  हराम माने जाने वाले तत्वों के मिले होने के कारण यह मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को नहीं दी जा सकती है. इसे भी पढ़ें : अहंकारी">https://lagatar.in/arrogant-modi-government-does-not-see-the-agony-of-farmers-dying-in-cold-sonia-gandhi/14915/">अहंकारी

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हराम जानवर के शरीर से मिले जिलेटिन का इस्तेमाल जायज माना जाता है

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार  जमात-ए-इस्लामी हिंद शरिया काउंसिल के सचिव डॉ रज़ीउल इस्लाम नदवी ने कहा,  अगर किसी नाजायज चीज को गुण और विशेषता के मामले में बिल्कुल अलग चीज में बदल दिया जाता है, तब इसे साफ़ और स्वीकार्य माना जा सकता है. इसी आधार पर इस्लामिक जानकारों द्वारा किसी हराम जानवर के शरीर से मिले जिलेटिन के इस्तेमाल को जायज माना जाता है. इसे भी पढ़ें : देश">https://lagatar.in/the-country-is-going-to-face-a-tragedy-like-champaran-then-british-company-bahadur-now-modi-friend-company-bahadur-rahul/14875/">देश

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कई जानकार  इस नियम से इत्तेफाक नहीं रखते

कहा कि वे जानकार भी, जो इस नियम से इत्तेफाक नहीं रखते, वे भी गंभीर और आपात स्थितियों में हलाल वैक्सीन न होने की स्थिति में प्रतिबंधित चीजों से बनी वैक्सीन के इस्तेमाल को सही मानते हैं. यह भी कहा कि अब तक सार्वजनिक की गयी वैक्सीन के तत्वों के स्रोत के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, ऐसे में इसके बारे में पूरी जानकारी मुहैया होने के बाद ही इन्हें इस्तेमाल या न इस्तेमाल करने के बारे में दिशानिर्देश जारी किये जायेंगे. इसे भी पढ़ें : गाजियाबाद">https://lagatar.in/a-ghastly-accident-in-ghaziabad-18-killed-by-falling-linter-at-cremation-ground/14868/">गाजियाबाद

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यह वैक्सीन मुसलमानों को नहीं दी जा सकती

खबरों के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया जैसे देशों में इस्लामिक संगठनों और भारत के मुस्लिम स्कॉलर्स के एक वर्ग का कहना  है कि यह वैक्सीन मुसलमानों को नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसमें पोर्क जिलेटिन (सुअर से प्राप्त जिलेटिन) है. जान लें कि भारत में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत-उल-उलेमा काउंसिल और मुंबई की रजा अकादमी ने इसे हराम’ घोषित करते हुए मुस्लिमों से पोर्क जिलेटिन से बनी वैक्सीन का इस्तेमाल न करने को कहा है. हालांकि फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी वैक्सीन में सुअर संबंधी किसी भी तत्व का इस्तेमाल नहीं किया गया है. लेकिन स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट के दौरान वैक्सीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टेबलाइजर के तौर पर सुअर के शरीर से प्राप्त जिलेटिन का विस्तृत इस्तेमाल किया जाता है.