alt="" width="600" height="400" /> इसे भी पढ़ें : हेमंत">https://lagatar.in/hemant-government-is-trying-to-deceive-people-colonel-dr-sanjay-singh/">हेमंत
सरकार लोगों को छलने का कर रही काम : कर्नल डॉ. संजय सिंह ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार हुआ. कथावाचक ने भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि जड़भरत का प्रकृत नाम भरत है, जो पूर्वजन्म में स्वयंभुव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे. मृग के छौने में तन्मय हो जाने के कारण इनका ज्ञान अवरुद्ध हो गया था और वे जड़वत हो गए थे, जिससे ये जड़भरत कहलाए. जड़भरत की कथा विष्णुपुराण के द्वितीय भाग में और भागवत पुराण के पंचम कांड में आता है. तीसरे दिन बुधवार को कथा में प्रमुख रूप से शंकर लाल अग्रवाल, शंभू खन्ना, शिवशंकर अग्रवाल, विनोद खन्ना, आनन्द अग्रवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल श्रवण कुमार अग्रवाल, दमोदर प्रसाद अग्रवाल समेत काफी संख्या में भक्तगण शामिल होकर कथा का आनन्द लिया. [wpse_comments_template]