Ranchi: राज्य की गरीब जनता के लिए राहत बनी मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना (MMJAY) अब खुद गंभीर संकट में है. झारखंड के निजी अस्पतालों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो अगले सप्ताह से आयुष्मान योजना के तहत इलाज पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा. यहां बता दें कि केंद्र की स्वास्थ्य लाभ योजना आयुष्मान योजना का नाम बदलकर झारखंड में मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया था. जिसके तहत लोग इलाज का लाभ ले रहे थे. IMA हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया, झारखंड ने बताया कि राज्य सरकार पर कुल 340 करोड़ रुपये का बकाया है, जो पिछले 10 महीनों से भुगतान नहीं किया गया है. इससे अस्पतालों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वे अब इस योजना के अंतर्गत इलाज कराने में असमर्थ हैं. सरकार की तरफ से एक ही जवाब - पोर्टल नहीं चल रहा : IMA के अनुसार, अस्पतालों द्वारा लगातार मांग के बावजूद सरकार की ओर से सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि पोर्टल काम नहीं कर रहा, इसलिए भुगतान नहीं हो पा रहा. IMA ने सवाल उठाया है कि क्या इसी जवाब से अस्पतालों का खर्च चलेगा. स्टाफ को वेतन कैसे मिलेगा? दवाइयां कैसे खरीदें? NAFU के नाम पर कार्रवाई, पर भुगतान नहीं : 212 अस्पतालों पर NAFU (नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट) की ओर से आरोप लगाए गए थे, लेकिन जांच के बाद ये आरोप गलत पाए गए और उन्हें आरोपों से मुक्त भी कर दिया गया. इसके बावजूद इन अस्पतालों को उन गरीब मरीजों के इलाज का पैसा अब तक नहीं दिया गया, जिनका इलाज उन्होंने पूरी ईमानदारी से किया. शिकायत सुनने को कोई तैयार नहीं : IMA ने बताया कि सरकार की ओर से शिकायत निवारण समितियां तो बनाई गई हैं, लेकिन इनकी बैठकें सालों से नहीं हो रही हैं. न जिला स्तर पर DGRC की मीटिंग होती है और न राज्य स्तर पर SGRC की. नतीजतन अस्पतालों की परेशानियां सिर्फ फाइलों में ही दबकर रह जाती हैं. अस्पतालों की चेतावनी: अब नहीं संभल पाएंगे हालात : IMA ने कहा कि अब निजी अस्पतालों की हालत ऐसी हो गई है कि वे आयुष्मान योजना के तहत इलाज जारी नहीं रख सकते. वेतन नहीं, दवा नहीं, संसाधन नहीं तो ऐसे में अस्पतालों के पास कोई विकल्प नहीं बचता. IMA ने यह भी कहा कि अगर इलाज बंद होता है तो इसका सबसे बड़ा नुकसान गरीब मरीजों को होगा, जिन्हें इलाज का दूसरा कोई सहारा नहीं है. IMA की अपील और सरकार की चुप्पी : IMA ने एक बार फिर सरकार से अपील की है कि तत्काल 340 करोड़ का बकाया भुगतान किया जाए, शिकायत निवारण प्रणाली को सक्रिय किया जाए और अस्पतालों की बात को गंभीरता से सुना जाए. लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस फैसला नहीं आया है, सिर्फ तकनीकी बहानों से जवाब दिया जा रहा है. इसे भी पढ़े- शराब">https://lagatar.in/liquor-scam-all-three-accused-presented-in-acb-court-sent-to-judicial-custody/">शराब
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