कोयले का ग्रेड छिपाने व अफसरों की गलती से झारखंड को 58 करोड़ का नुकसान

Ranchi : राज्य में कोयला कंपनियों द्वारा कोयले का ग्रेड छिपाने और माइनिंग अधिकारियों की गलती से सरकार को 58.39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. महालेखाकार द्वारा चतरा और धनबाद जिले के सिर्फ 16 पट्टेदारों और चार वाशरी की जांच के दौरान रॉयल्टी मद में हुए इस नुकसान की जानकारी मिली है. महालेखाकार ने इसके लिए झारखंड सरकार दवारा वर्ष 2015 में शुरू की गयी Jharkhand integrated Mines and Mineral Management System(JIMMS) पोर्टल की कमियों को भी जिम्मेवार माना है.

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने खनिजों के सिलसिले में दायर किये जाने वाले रिटर्न को आसान बनाने और राजस्व वसूली पर नजर रखने के लिए JIMMS पोर्टल की शुरूआत की थी. इस पोर्टल को सहारे कोयले का ऑनलाइन मासिक रिटर्न दाखिल करना ऑफलाइन से ज्यादा कठिन है. रिटर्न का मूल्यांकन करने के लिए अब ही ऑफलाइन रिटर्न ही प्रचलन में है. क्योंकि ऑनलाइन रिटर्न में कोयले का नोटिफाईड प्राइस, इंव्यास प्राइस जैसी जानकारियां नहीं रहती है.

 

JIMMS पर डिमांड, कलेक्शन, डेड रेंट, रॉयल्टी सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध नहीं रहने की वजह से ऑडिट टीम ने पटेट्दारों द्वारा ऑफलाइन दाखिल किये गये रिटर्न का सहारा लिया. टीम ने चतरा और धनबाद जिले के कोयला खनन से जुड़े 16 पट्टेदारों और चार वाशरी द्वारा दाखिल किये गये मासिक रिटर्न की जांच की. रिटर्न में 2017-222 तक की अवधि में इनके द्वारा 106.17 लाख एमटी कोयला डिस्पैच किया गया था. इस पर 232.73 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगना चाहिए था. लेकिन सिर्फ 291.21 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगाया गया. इससे सरकार को रॉयल्टी मद में 58.39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

 

रिपोर्ट के अनुसार रॉयल्टी के अलावा District Mineral Foundation Trust (DMFT)  और  National Mineral Exploration Trust(NMET) के रूप में मिलने वाली राशि का भी नुकसान हुआ. MMDR एक्ट मे कोयले के मूल्य पर 14 प्रतिशत रॉयल्टी वसूलने का प्रावधान है. इसके अलावा रॉयल्टी के राशि का 30 प्रतिशत DMFT और दो प्रतिशत NMET वसूलने का प्रावधान है. डिस्पैच किये गये कोयले पर रॉयल्टी कम लगाने से DMFT मद में 17.52 करोड़ और NMET मद में 1.17 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

 

गड़बड़ी का उदाहरण


धनबाद जिले के एक मामले के ऑडिट में पाया गया कि पट्टेदार ने S-1 ग्रेड का कोयला डिस्पैच किया. रॉयल्टी की गणना के लिए इसका मूल्य 571.20 रुपये प्रति एमटी को आधार बनाया गया. रॉयल्टी की गणना के दौरान कोयला कंपनी द्वारा S-1 ग्रेड और S-2 के लिए जारी किये गये मूल्य का नजरअंदाज किया गया. कोयला कंपनी ने इस ग्रेड के कोयले का मूल्य 1914.12 रूपये एमटी निर्धारित किया था. पट्टेदार ने अप्रैल 2017 से जून 2017 तक 0.77 लाख एमटी कोयला डिस्पैच किया था. गलत मूल्य को आधार बना कर की गयी गणना की वजह से इस पर सिर्फ 4.41 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगायी गयी. जबकि इस पर 14.78 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगाना चाहिए था. इस तरह इस मामले में 10.37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.


ऑडिट में पाया गया कि अम्रपाली ओपन कास्ट प्रोजेक्ट से अप्रैल 2017 से दिसंबर 2019 तक 39.05 लाख एमटी कोयला डिस्पैच किया गया. डिस्पैच किया गया कोयला जी-10 ग्रेड का था. लेकिन रिटर्न दाखिल करते समय पट्टेदार द्वारा इसे जी-11 ग्रेड का बताया गया. इससे 52.13 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगाया गया. जबकि वास्तविक ग्रेड के हिसाब से कोयले पर 55.96 करोड़ रुपये रॉयल्टी लगना चाहिए. इस तर सिर्फ एक मामले में 3.83 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

 

कम रॉयल्टी वसूली का ब्योरा

 

जिला व पट्टेदार

रॉयल्टी लगा

कम लगा

चतरा, 04 59.23 करोड़ 8.38 करोड़
धनबाद,12 153.82 करोड़ 33.28 करोड़
धनबाद,02 15.27 करोड़ 6.36 करोड़
धनबाद,01 4.41 करोड़ 10.37 करोड़