पत्रकार को कर्तव्यनिष्ठ होने की है जरूरत, तभी मिलेगा सम्मान

Special Story/ Sanjeet Yadav Palamu: सरकार और जिला प्रशासन के पीछे जाने वाले भारत के चौथे स्तंभ यानि पत्रकार को झटका लगना आम बात है. जी हां पहले की पत्रकारिता और आज में जमीन आसमान का फर्क है. पहले के वरिष्ठ पत्रकार">https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0">पत्रकार

कहते थे कि हमलोग के जमाने में घर पर फोन कर प्रशासन द्वारा सम्मान के साथ न्यूज के लिए बुलाया जाता था. लेकिन आज ऐसा नहीं है. आम भाषा में कहें तो बिन बुलाये बाराती के मेहमान जैसा हो गया है. आज पेड पत्रकारिता बढ़ता जा रहा है. पहले पत्रकार को खुद से फोटो खींचना, खुद न्यूज कवर कर न्यूज लिखना होता था. लेकिन आज सरकार और प्रशासन द्वारा लिखा हुआ जो आया उसी को लिख दिया जाता है. पत्रकार पत्रकारिता का धर्म भूलते जा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो  जिस न्यूज को छापते हैं, उसे आप अपनी आंखों से नहीं देखते हैं. उसक अध्ययन नहीं करते हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. आज के पत्रकार को व्हाट्सएप में मैसेज आ जाता है. वह दौड़ पड़ता है. आजकल पत्रकारों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिसे लिखना भी नहीं आता है वह खुद को पत्रकार कहने लगता है और दुकान चलाने लगता है. आज अपने आप को संगठित करने के चक्कर में पत्रकार संगठन बनाकर अपना दुकान चलाते हैं. आज उसी का जीता जागता उदाहरण है पलामू. यहां कुछ पत्रकारों के साथ एसा ही हो रहा है. इसे भी पढ़ें-  नगर">https://english.lagatar.in/municipal-commissioner-gave-a-meeting-regarding-water-conservation-and-kovid-gave-instructions/46233/">नगर

आयुक्त ने जल संरक्षण और कोविड को लेकर की बैठक, दिये निर्देश करोना काल से लेकर आज तक पत्रकार अपनी जान पर डालकर न्यूज लाते थे. लिखते थे तब छपते थे. उसे आज के दिनों में प्रशासन ने दरकिनार कर दिया है. और तो और अब जिला प्रशासन द्वारा कुछ भी शुभ या अशुभ कार्यक्रम होता है तो पत्रकारों को बुलाया नहीं जाता है. न ही पत्रकारों को सम्मान दिया जाता है. कभी-कभी किसी कारणवश अगर बुलाया भी जाता है, तो उसे आधा घंटा तक बाहर में खड़ा रहने के लिए बोला जाता है. ऐसी तो नाइंसाफी पत्रकारों के साथ हो रही है. इसे भी पढ़ें- दुमका">https://english.lagatar.in/in-dumka-miscreants-looted-50-thousand-rupees-from-rbl-bank-employee-on-the-strength-of-arms/46256/">दुमका

में RBL बैंक के कर्मचारी से हथियार के बल पर बदमाशों ने लूटे 50 हजार रुपये पत्रकार आज चार-पांच संगठनों के साथ जुड़कर अपने आप को बड़ा मानते हैं. आखिर में संगठित करने के चक्कर में खुद ही असंगठित हो जाते हैं. चर्चा तो यह भी है कि कुछ लोग संगठन बनाकर प्रशासन की चापलूसी करते हैं. वह भूल जाते हैं कि हमारा धर्म क्या है. हम क्या करते हैं. इतना होने के बाद भी पलामू के पत्रकार किसी से कम नहीं है. वे आज भी पूरी शिद्दत से अपने काम में लगे हैं. हर क्षेत्र में कुछ खामियां होती हैं और अच्छाई होती है. हमें अच्छाई की तरफ जाना है. तभी पत्रकारिता का महत्व समझ सकेंगे. तभी सम्मान मिलेगा. इसे भी पढ़ें-दो">https://english.lagatar.in/two-ias-officers-transferred-see-update-here/46262/">दो

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