जेपीएससी-2 की कॉपी जांचने में बनारसी प्रोफेसरों का कारनामा
SHAKEEL AKHTER Ranchi : जेपीएससी-2 की कॉपी जांचने वाले प्रोफसरों ने आयोग के पदाधिकारियों के निर्देश पर मनपसंद परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ाने की बात स्वीकार की. सीबीआई ने नियुक्ति घोटाले की जांच के दौरान इन प्रोफेसरों को समन देकर बुलाया और उनका बयान दर्ज किया. काशी विद्यापीठ काशी के तत्कालीन प्रोफेसर एएस इनाम शास्त्री ने भी पूछताछ के दौरान कई परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ाये जाने की बात स्वीकार की थी. हालांकि अब उनकी मौत हो चुकी है. प्रोफेसर परमानंद सिंह - महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के इतिहास विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे. जेपएससी-2 की कॉपी जांचने के समय वह सेवानिवृत हो चुके थे. अब उनकी मौत हो चुकी है. सीबीआई ने जांच में पाया कि परमानंद सिंह ने मुकेश महतो की कॉपी की जांच की थी. मुकेश महतो राज्य के पूर्व उप मुख्य मंत्री सुदेश महतो के भाई हैं. परमानंद सिंह द्वारा मुकेश महतो की कॉपी जांचने के दौरान कांट छांट नहीं की गयी थी. हालांकि बहुत ज्यादा नंबर दिया गया था. जांच में पाया गया कि पीजी कॉलेज बलिया के एसोसिएट प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने मुकेश महतो के जेनरल स्टीड पेपर (2) की कॉपी की थी. इस दौरान उन्होंने भी बिना कांटछांट किये गये हुए बहुत ज्यादा नंबर दिये थे. प्रोफेसर नंदलाल सिंह - कॉपी जांचने के समय प्रोफेसर नंदलाल सिंह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (बनारस) पॉलिटिकल साइंस के विभागाध्यक्ष थे. उन्होंने जेपीसीएसी-2 की मुख्य परीक्षा में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (पेपर-1) के कॉपियों की जांच की. सीबीआई द्वारा की गयी पूछताछ के दौरान उन्होंने आयोग के तत्कालीन सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह के पुत्र कुंदन कुमार सिंह के अलावा शिशिर कुमार सिंह की कॉपियों की जांच की और उन्हें ज्यादा नंबर दिये. डॉक्टर ओंकार नाथ सिंह - बीएचयू(बनारस) में प्राचीन इतिहास (Ancient History) के एसोसिएट प्रोफेसर थे. उन्होंने जेपीएससी-2 की मुख्य परक्षा में इतिहास (पेपर-1) के कापियों की जांच की. सीबीआई जांच के दौरान उन्होंने तत्कालीन जेडीयू विधायक राधाकृष्ण किशोर के भाई राधा प्रेम किशोर के इतिहास(पेपर-1) की जांच की. सीबीआई को दिये गये बयान में उन्होंने राधा प्रेम किशोर को इतिहास में मिले वास्तविक नंबर में 22 नंबर बढ़ाने की बात स्वीकार की. डॉक्टर महेंद्र मोहन वर्मा - महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ(बनारस) में सोशल वर्क विभाग के प्रोफेसर थे. उन्होंने जेपीएससी-2 की मुख्य परीक्षा में एलएसडब्ल्यू (पेपर-2) की जांच की. राधा प्रेम किशोर की कॉपी जांचने के क्रम में उसे मिले वास्तविक नंबर को काट कर चार नंबर बढ़ाया था. डॉक्टर मुनिंद्र तिवारी- महात्मा गांधी विद्यापीठ काशी में हिंदी विभाग के रीडर के रूप में कार्रत थे. उन्होंने जेपीएससी-2 में हिंदी साहित्य(पेपर-2) की कॉपियों की जांच की. सीबीआई द्वारा की गयी पूछताछ के दौरान उन्होंने आयोग के तत्कालीन सदस्य शांति देवी के भाई विनोद राम की कॉपी जांचने की बात स्वीकार की. सीबाआई को दिये गये बयान में उन्होंने विनोद राम को हिंदी साहित्य में 17 नंबर बढ़ाने की बात स्वीकार की. काट कर बढ़ाये गये नंबर पर कोऑर्डिनेटर अरविंद कमार ने हस्ताक्षर किया. लेकिन उन्होंने नंबर बढ़ाने के मामले में किसी तरह की आपत्ति नहीं की. डॉक्टर सुधीर कुमार शुक्ला – महात्मा गांधी विद्यापीठ काशी में कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने जेपएससी-2 की मुख्य परक्षा में एलएसडब्ल्यू (पेपर-1) की जांच की. सीबीआई को दिये गये बयान में उन्होंने आयोग के तत्कालीन सदस्य शांति देवी के भाई विनोद राम की कॉपी जांचने और नंबर बढाने की बात स्वीकार की. सीबीआई को दिये गये बयान में उन्होंने एलएसडब्डल्यू (पेपर-1) में विनोद राम को 22 नंबर बढ़ा कर देने की बात स्वीकार की. राजेंद्र प्रसाद सिंह - महात्मा गांधी विद्यापीठ बनारस के इकोनॉमिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने जेपीएससी-2 की परीक्षा में जेनरल स्टडीज (पेपर-1) के कॉपियों की जांच की. इस क्रम में उन्हें हरिशंकर बड़ाईक नाम के परीक्षार्थी के कॉपी का जांच की. उन्होंने बड़ाईक के जेनरल स्टडीज (पेपर-1) में 22 नंबर बढ़ाये थे. बढ़े हुए नंबर कोऑर्डिनेटर परमानंद सिंह से हस्ताक्षर कर सत्यापित किया. तुलसी नारायण सिंह मुंडा – रांची कॉलेज के क्षेत्रीय जनजातीय भाषा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने जेपीएससी-2 की मुख्य परीक्षा में मुंडारी भाषा साहित्य(पेपर-1) के कॉपियों की जांच की. आयोग के तत्कालीन सदस्य राधा गोविंद नागेश के भतीजे हरिहर सिंह मुंडा के कॉपी की जांच की थी. उन्होंने हरिहर सिंह मुंडा को मुंडारी भाषा साहित्य में पहले 128 नंबर दिये थे. बाद में उसे काट कर 153 कर दिया. उन्होंने आयोग के सदस्य राधा गोविंद नागेश के कहने पर नंबर बढ़ाये थे. नागेश ने उन्होंने अपने भतीजे को 150 से अधिक नंबर देने का निर्देश दिया था. हरिहर सिंह मुंडा का चयन राज्य पुलिस सेवा में हुआ. डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह - सुलतानपुर(उत्तर प्रदेश) के कमला नेहरू इंस्टीट्यूट के भूगोल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. नियुक्ति घोटाले की जांच के दौरान उन्होंने भूगोल(पेपर-2) की कॉपियों की जांच करने की बात स्वीकार की थी. उन्होंने रवि कुमार कुजूर की कॉपी जांची थी. रवि कुजूर को भूगोल(पेपर-2) में 106 नंबर मिले थे. बाद में उसे बढ़ा कर 126 किया गया. बढ़े हुए नंबर को कोऑर्डिनेटर अरविंद कुमार सिंह ने हस्ताक्षर कर सत्यापित किया.