Lagatar Desk: केंद्रीय तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन शुरू हुआ लेकिन 6 दौर की वार्ता बेनजीता रही. 7वें दौर में किसानों की सरकार के साथ हुई बातचीत में आधा मुद्दों पर सहमति बनने की दोनों पक्षों ने बात कही. बताते चलें की किसानों की सरकार के साथ सोमवार को आठवें दौर की बातचीत जारी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि आज की बातचीत सकारात्मक रहेगी.
जानें कब कब हुई आंदोलनरत किसानों की सरकार के साथ वार्ता - 1 दिसंबर: सरकार के साथ हुईं दो बैठकें
केंद्र ने किसानों को बिना शर्त खुले मन से बातचीत करने का प्रस्ताव दिया. इस पर पहली बार पंजाब के 32 किसान नेताओं ने की सरकार के साथ वार्ता हुई. तीन घंटे चली मिटिंग बेनतीजा रही. आंदोलनरत किसान लगातार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे. उसी दिन शाम में दोबारा किसानों के साथ बैठक हुई जो बेनतीजा रही. इसे भी पढ़ें-
किसानों">https://lagatar.in/dharmendra-tweeted-in-support-of-farmers/15029/">किसानों
के समर्थन में धर्मेंद्र ने किया ट्वीट - 3 दिसंबर: किसानों ने नहीं खाया सरकारी खाना
तीसरे दौर की वार्ता में 40 किसान नेता शामिल रहे. दिल्ली के विज्ञान भवन में तीसरे दौर की वार्ता हुई. किसानों ने अपने लिए सिंधु बॉर्डर से ही भोजन, चाय का प्रबंध किया था. यह बैठक भी बेनतीजा रही.
- 5 दिसंबर: पांचवें दौर की बैठक
किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बैठक में किसानों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.किसानों ने प्लाकार्ड्स दिखाए और कहा कि सरकार बताए कि उसने किसानों की मांगों पर अब तक क्या निर्णय लिया गया.
- 8 दिसंबर: किसान संगठनों ने किया भारत बंद का आह्वान
8 दिसंबर को किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया. देशभर में किसान संगठनों के इस बंद का आंशिक असर देखने को मिला. इस भारत बंद को विपक्षी दलों का भी समर्थन रहा. बताते चलें कि इस बंद का पंजाब-हरियाणा में ज्यादा प्रभाव देखने को मिला.
- 10 दिसंबर: किसान आंदोलन में पोस्टर वार
मानवाधिकार दिवस के दिन किसान आंदोलन में दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम और उमर खालिद के पोस्टर लहराए गए. उनकी रिहाई की मांग की गई. हालांकि किसान संगठनों ने खुद को इस मामले से दूर रखा.
- 15 दिसंबर: प्रधानमंत्री ने कच्छ के किसानों से की बात
प्रधानमंत्री मोदी ने कच्छ दौरे के बीच यहां के किसानों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि क्या जब दूध लेने का ठेका होता है तो क्या ठेकेदार गाय भी ले जाता है. उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान की जमीन सुरक्षित रहेगी. उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है. किसानों की मर्जी होगी तभी वे अपनी जमीन किसी को कॉन्टैक्ट पर फार्मिंग के लिए देंगे. इसे भी पढ़ें-
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मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची विधानसभा, अध्यक्ष ने दायर की SLP - 17 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ीं और इस कानून का विरोध किया.
- 18 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के किसानों के साथ बातचीत की और उन्हें नए कृषि कानूनों के बारे में जागरूक किया.
- 25 दिसंबर को प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान निधि योजना की किस्त किसानों की खाते में डाली. इस योजना से देशभर के नौ करोड़ किसान लाभान्वित हुए. किसानों के बीच 18 हजार करोड़ रुपये वितरित किये गए.
- 30 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता हुई. कई घंटों तक चली बैठक में किसानों और सरकार के बीच दो बातों पर सहमति बन गई. जिसके बाद किसानों ने सरकार के सकारात्मक रूख की प्रशंसा की और बताया कि सरकार के साथ उनकी दो मांगों पर सहमति बन गई है.
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