Lagatar Expose : टेंडर की शर्तें तय करने से लेकर शराब फैक्टरियों को बंद कराने तक में शामिल था सिद्धार्थ सिंघानिया

Ranchi: शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने जिस सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया है, वह शराब सिंडिकेट का किंगपिन हैं. सिद्धार्थ सिंघानिया, छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का एक बड़ा नाम है.

 

सिद्धार्थ सिंघानिया की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उसी ने सिंडिकेट से जुड़ी मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनवियों के पक्ष में टेंडर की शर्तें निर्धारित करवाया. इसके साथ ही उसने झारखंड की शराब फैक्टरियों में अपनी हिस्सेदारी तय कर ली. जिस फैक्टरी मालिक ने उसकी बात नहीं मानी, उसे फैकटरी बंद तक करना पड़ा. 

 

जानकारी के मुताबिक सिद्धार्थ सिंघानिया का काम सिंडिकेट से जुड़ी मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनियों के पक्ष में टेंडर की शर्तें निर्धारित करवाना था. झारखंड में भी उसने यह भूमिका अदा की और उत्पाद विभाग के अधिकारियों के उपकृत किया.

 

सिद्धार्थ सिंघानिया ने झारखंड में शराब बनाने वाली कंपनियों पर भी कब्जा कर लिया था. जिस कंपनी ने उसकी बात नहीं मानी उस कंपनी को उत्पाद विभाग के अधिकारियो के साथ मिलकर परेशान किया. सिंघानिया से समझौता नहीं करने वाली कंपनियों का काम काज प्रभावित हुआ या कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया.

 

झारखंड में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSML) को सलाहकार नियुक्त किये जाने के पहले से सिद्धार्थ सिंघानिया ने अधिकारियों से मिलना शुरू कर दिया था. उसने राज्य के अधिकारियों के उपकृत करने के बाद मैन पावर सप्लाई के टेंडर के लिए ऐसी शर्तें निर्धारित करायी जिससे छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़ी कंपनियों को मैन पावर सप्लाई का काम मिल सके.

 

सिंघानिया ने मैन पावर सप्लाई के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए सरकार में दो साल के काम का अनुभव होना और तीन साल तक 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की शर्त शामिल कराया.

 

सिंघानिया के हस्तक्षेप से निर्धारित की गयी शर्तों को सिर्फ छत्तीसगढ़ में मैन पावर सप्लाई का काम करने वाली कंपनियों को काम मिलना संभव हुआ. क्योंकि इन शर्तों को छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़ी कंपनियां ही पूरी करती थीं.

 

सिंघानिया के हस्तक्षेप की वजह से ही राज्य में मैन पावर सप्लाई को काम सुमित फेसिलिटीज, इगल, हंटर और ए टू जेड इंफ्रा सर्विसेज नाम कंपनियों को मिला. बाद में इन सभी कंपनियों ने अपना अपना काम सिद्धार्थ सिंघानिया को दे दिया. इस तरह पूरे मैन पावर सप्लाई चेन पर सिंघानियां का कब्जा हो गया.

 

टेंडर में शर्तें निर्धारित कराने के दौरान ही उसने राज्य में देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से संपर्क स्थापित कर कंपनी में उसके लोगों को पार्टनरशिप देने की मांग की. साथ ही यह धमकी भी दी कि जो कंपनी उसके साथ पार्टनरशिप नहीं करेगी, वह झारखंड में शराब का व्यापार नहीं कर सकेगी.

 

वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य मे देसी शराब बनाने की पांच कंपनियां चल रही थीं. सिंघानिया के साथ समझौता नहीं करने पर इसमें से तीन कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हो गयीं. एक कंपनी ने तंग आकर उत्पाद बंद कर दिया. एक अन्य कंपनी को अधिकारियों की मदद से कई तरह के आरोप लगा कर बंद कराया गया.

 

सिंघानियां से श्रीलैब नामक कंपनी ने समझौता किया. इसके बाद इस कंपनी में सिंघानिया से जुड़े लोगों ने पूंजी निवेश किया. इडी द्वारा जारी शराब घोटाले की जांच के दौरान श्रीलैब में मेसर्स टॉप सिक्यूरिटीज नामक कंपनी पूंजी निवेश किये जाने की पुष्टि हुई है.