नेता रैली कर सकते हैं, एक्टर्स शूटिंग व क्रिकेटर खेलेंगे, कारोबार बंद रहेगा, कोरोना के बहाने नियंत्रण का खेल

Girish Malviya
दो दिन पहले अनिल अंबानी के बड़े बेटे अनमोल ने एक ट्वीट किया. कहा है कि “एक्टर्स, क्रिकेटर्स, राजनीतिज्ञों को अपना काम बिना किसी रोक-टोक के करने दिया जा रहा है. लेकिन कारोबार पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है.” “प्रोफेशनल एक्टर्स अपनी फिल्मों की शूटिंग जारी रख सकते हैं. प्रोफेशनल क्रिकेटर देर रात तक खेल सकते हैं. प्रोफेशनल राजनीतिज्ञ भारी भीड़ के साथ अपनी रैलियां कर सकते हैं. लेकिन आपका कारोबार आवश्यक सेवाओं में नहीं आता.”
अनिल अंबानी के बेटे ने अपने ट्वीट में जो एक आशंका जताई है, उस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ये लॉकडाउन्स स्वास्थ्य को लेकर नहीं हैं. ये नियंत्रण करने के लिए हैं और मुझे लगता है कि हममें से कई अनजाने में बेहद बड़े और भयावह प्लान के जाल में फंस रहे हैं.

विश्व भर की सरकारें दरअसल पूरी तरह से कंट्रोल हासिल कर लेना चाहती हैं. पब्लिक हेल्थ तो एक बहाना है. अगर आपने बीबीसी पर रिलीज की गई “वैक्सीन पासपोर्ट” की रिपोर्ट नहीं देखा है, तो एक बार उसे जरूर देखिए. आपको पूरा खेल समझ में आ जाएगा कि क्या गजब तरीके से जनता को एक ट्रैप में फंसाया जा रहा है.
इस रिपोर्ट ने बीबीसी जैसे निष्पक्ष समझे जाने वाले मीडिया संस्थानों के असली इरादे जाहिर कर दिए हैं. हर रिपोर्ट में दूसरा पक्ष क्या कह रहा है, इसकी जरूर बात की जाती है. लेकिन रिपोर्ट के आखिरी चंद सेकंड में ब्रिटेन के सांसदों की राय बताई गयी और प्रोग्राम अचानक से खत्म कर दिया गया.

“वैक्सीन पासपोर्ट” को एकमात्र उपाय के रूप में पब्लिक के दिमाग में ठूंसा जा रहा है, यहां ये कहने की कोशिश की जा रही है कि सरकारें तो लॉकडाउन लगाना नहीं चाहती, लेकिन यदि आपको ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था को खोलना है, तो वैक्सीन सर्टिफिकेट ही एकमात्र उपाय है. विकसित देशों में यह खेल शुरू हो गया है और भारत में भी जल्दी ही वैक्सीन रोल आउट के प्रोग्राम चलाया ही जायेगा. देश के सारे कलेक्टर्स को निर्देश है कि अपने-अपने जिले में जितने अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगवाए उतना अच्छा.

इस बार सरकार का ध्यान बीमारी से ज्यादा वैक्सीन के रोल आउट पर है. हमें यह जानने की जरुरत है कि कोई बीमारी होती है तो मार्केट में उसकी दवा पहले आती है या वैक्सीन पहले आती है ? कोरोना दुनिया की ऐसी पहली बीमारी है, जिसकी दवा नहीं है, लेकिन वैक्सीन है.

डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.